जलवायु परिवर्तन से निपटने संबंधी वार्ता की विश्वसनीयता पर अफ्रीकी कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाए

मोम्बासा (केन्या), अफ्रीकी कार्यकर्ताओं ने संयुक्त राष्ट्र की जलवायु संबंधी संस्था को लेकर क्षोभ जताते हुए उस पर वार्षिक जलवायु सम्मेलन में संदिग्ध साख वाले व्यक्तियों एवं संस्थानों को भाग लेने की अनुमति देकर उन्हें प्रदूषण फैलाने वाली उनकी गतिविधियों पर पर्दा डालने का आरोप लगाया।

दरअसल संयुक्त अरब अमीरात में नवंबर के अंत में होने वाली संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता के अगले दौर का नेतृत्व अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी के प्रबंध निर्देशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुल्तान अल जाबेर को सौंपे जाने की बृहस्पतिवार को घोषणा की गई थी, जिस पर अफ्रीका के जलवायु कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताई।

‘पैन अफ्रीकन क्लाइमेट जस्टिस एलायंस’ (पीएसीजेए) ने इस कदम को संयुक्त राष्ट्र एजेंसी का ‘‘सबसे निम्न दर्जे का अवसर’’ करार दिया। संयुक्त राष्ट्र के जलवायु निकाय ने इस नियुक्ति पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे तेल और गैस क्षेत्र के प्रतिनिधियों द्वारा सम्मेलन के मकसद को विफल करने की आशंका को लेकर चिंतित हैं। सम्मेलन में दुनिया भर के देश ग्लोबल वार्मिंग गतिविधियों को कम करने के तरीकों पर सहमति बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

जलवायु संबंधी अभियान समूहों ने संयुक्त अरब अमीरात के ऐसे किसी भी कदम को अस्वीकार करने का आह्वान किया है जिससे जीवाश्म ईंधन को बढ़ावा देने वाले तत्वों को वैश्विक जलवायु वार्ताओं का नियंत्रण मिले।

पीएसीजेए के कार्यकारी निदेशक मिथिका म्वेंडा ने अल-जाबेर को लेकर सोमवार को दिए बयान में कहा, ‘‘यह सजा माफी और हितों के टकराव की पाठ्यपुस्तक में दी जाने वाली परिभाषा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जल-जाबेर को सबसे कमजोर देशों के हित में उद्देश्यपरक, विज्ञान आधारित वार्ता का नेतृत्व करते देखना कष्टकारी है।’’

म्वेंडा ने आशंका जताई कि वार्ता पर ‘‘जीवाश्म ईंधन को बढ़ावा देने वाली उन शातिर कंपनियों का नियंत्रण हो जाएगा, जिनका स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने की प्रक्रिया को पटरी से उतारने का इरादा है।’’

‘अफ्रीकन विमन डेवल्पमेंट एंड कम्युनिकेशंस नेटवर्क’ की कार्यकारी निदेशक मेमोरी कचंबवा ने अल-जाबेर की नियुक्ति को ‘‘जलवायु संकट से निपटने के लिए प्रतिबद्ध सभी लोगों की सामूहिक समझ का अपमान’’ बताया।

कई अन्य जलवायु एवं पर्यावरणीय समूहों ने इस घोषणा पर चिंता जताई, जबकि कई अन्यों ने इस कदम का स्वागत किया।
जलवायु संबंधी मामलों के लिए अमेरिका के दूत जॉन केरी ने रविवार को ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ से कहा कि इस जिम्मेदारी के लिए अल-जाबेर एक ‘‘बेहतरीन पसंद’’ हैं क्योंकि वह स्वच्छ ऊर्जा अपनाने की जरूरत को समझते हैं।

अफ्रीका के पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने महाद्वीप को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आवश्यक राशि उपलब्ध नहीं कराए जाने को लेकर भी चिंता जताई है। उनका कहना है कि अफ्रीका में जीवाश्म ईंधन के लिए सब्सिडी और तेल एवं गैस में निवेश बढ़ रहा है, जबकि जलवायु परिवर्तन के अनुकूल स्वयं को ढालने और नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने के लिए आवश्यक निधि का अब भी अभाव है।

इस बात पर पिछले साल देशों के बीच सहमति बनी थी कि विकसित देश उन कम विकसित देशों को धन मुहैया कराएंगे, जिन्हें जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन के लिए विकसित देश सबसे अधिक जिम्मेदार हैं।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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