राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार कर बीआरएस और आप ने संसदीय मर्यादा का अपमान किया: भाजपा

नयी दिल्ली, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किए जाने को लेकर तेलंगाना की सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआएस) और दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) को आड़े हाथों लिया और उनके इस कदम को इसे संसदीय मर्यादा का अपमान करार दिया।

            वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज देश के ​लिए बहुत ही ऐतिहासिक अवसर था जब जनजातीय वर्ग से ताल्लुक रखने वाली भारत की प्रथम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के बजट सत्र की शुरुआत के अवसर पर दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया।

            उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत पीड़ा की बात है कि इतने महत्वपूर्ण अवसर पर बीआरएस और आम आदमी पार्टी ने इस अभिभाषण का बहिष्कार किया।’’

            उन्होंने कहा, ‘‘ये भारत के राष्ट्रपति की मर्यादा के साथ-साथ देश की संसदीय परंपरा और मर्यादा का भी अपमान है।’’

            प्रसाद ने कहा कि राजनीतिक विरोध स्वाभाविक हैं लेकिन इसका भी एक स्तर होना चाहिए।

            बीआरएस और आप ने इससे पहले राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने की घोषणा के साथ कहा था कि उनका यह कदम राज्यों के साथ व्यवहार सहित कई मुद्दों पर केंद्र की नीतियों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराना है।

            प्रसाद ने कहा कि यह एक ‘‘आधारहीन’’ तर्क है। उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर यह राष्ट्रपति का अभिभाषण था, जिसका उन्होंने बहिष्कार करने का फैसला किया।’’

            उन्होंने विपक्षी दलों की इस आलोचना को भी खारिज कर दिया कि अभिभाषण में सरकार के काम का महिमामंडन किया गया है।

            उन्होंने संबंधित राज्य सरकारों द्वारा अनुमोदित भाषण को पढ़ने वाले राज्यपाल के पारंपरिक संबोधन का हवाला देते हुए पूछा, ‘‘बजट सत्र की शुरुआत के दौरान कुछ विपक्ष शासित राज्यों में क्या होता है?’’

            ज्ञात हो कि राष्ट्रपति के अभिभाषण को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दी जाती है।

            प्रसाद ने कहा कि अगर विपक्षी दलों को भाषण में उद्धृत सरकार की उपलब्धियों से कोई समस्या थी, तो वे उन्हें अभिभाषण पर चर्चा के दौरान उठा सकते हैं और सरकार प्रभावी ढंग से जवाब देगी।

            उन्होंने कहा कि मुर्मू के संबोधन में कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि यह ‘ठोस’ बातों पर आधारित है, जो केंद्र के सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देते हुए उसके सर्वसमावेशी विकास कार्यों को रेखांकित करता है। 

             इससे पहले, बीआरएस के नेता के. केशव राव ने कहा था कि भाजपा नीत केंद्र सरकार के ‘‘शासन के सभी मोर्चों पर विफलता’’ के विरोध में उनकी पार्टी संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करेगी।

            ‘आप’ के नेता एवं सांसद संजय सिंह ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के प्रति पूरे सम्मान के साथ, हम संसद के संयुक्त सत्र का बहिष्कार कर रहे हैं क्योंकि सरकार सभी मोर्चों पर विफल रही है और उसने अपने वादों को पूरा नहीं किया।’’

            राव और सिंह दोनों ने स्पष्ट किया कि वे और उनकी पार्टियां राष्ट्रपति मुर्मू और राष्ट्रपति के पद का सम्मान करती हैं, लेकिन केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार के विरोध में अभिभाषण का बहिष्कार कर रही है।

            बजट सत्र के पहले दिन संसद के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए बतौर राष्ट्रपति अपने पहले अभिभाषण में मुर्मू ने ‘‘विकास’’ एवं ‘‘विरासत’’ पर सरकार के जोर को रेखांकित करते हुए कहा कि उसने कोई भेदभाव किए बिना सभी के लिए काम किया है। साथ ही उन्होंने अगले 25 वर्ष में भारत को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य भी देश के समक्ष रखा।

            उन्होंने कहा, ‘‘हमें ऐसा भारत बनाना है जो आत्मनिर्भर हो और जो अपने मानवीय दायित्वों को पूरा करने में समर्थ हो।’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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