रिजर्व बैंक ने 2022-23 के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को एक प्रतिशत बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत किया

नयी दिल्ली, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष के लिए अपने मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले अप्रैल में रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के 5.7 प्रतिशत के स्तर पर रहने का अनुमान लगाया था।

रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत के स्तर पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। हालांकि, खुदरा मुद्रास्फीति पिछले लगातार चार माह से केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति 7.8 प्रतिशत के उच्चस्तर पर पहुंच गई।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि मुद्रास्फीति को लेकर जोखिम बना हुआ है। हाल के समय में टमाटर के दाम बढ़े हैं, जिससे खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की ऊंची कीमतों की वजह से भी मुद्रास्फीति के ऊपर जाने का जोखिम है।

दास ने कहा, ‘‘हम इस मुश्किल समय से आगे निकलने की कोशिश कर रहे हैं। ’’ उन्होंने कहा कि हमें नई वास्तविकताओं के प्रति संवेदनशीलता बरतने और इसे अपनी ‘सोच’ में शामिल करने की जरूरत है।’’

दास ने कहा कि युद्ध ने नई चुनौतियां पैदा की हैं। इससे मौजूदा आपूर्ति श्रृंखला की दिक्कतें और बढ़ी हैं, जिसके चलते दुनियाभर में खाद्य, ऊर्जा और जिंसों के दाम बढ़े हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘दुनियाभर के देश मुद्रास्फीति से जूझ रहे हैं, जो दशक के उच्चस्तर पर है। साथ ही मांग-आपूर्ति का अंतर भी बना हुआ है। युद्ध की वजह से आज मुद्रास्फीति का भी ‘वैश्वीकरण’ हुआ है यानी आज दुनियाभर में महंगाई है। मुद्रास्फीतिक दबाव व्यापक हुआ है। मुख्य रूप से यह आपूर्ति पक्ष के झटकों की वजह से है।’’

रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की पहली जून तिमाही में मुद्रास्फीति 7.5 प्रतिशत पर रहेगी। सितंबर की दूसरी तिमाही में यह 7.4 प्रतिशत रहेगी।

इसके बाद दिसंबर की तीसरी तिमाही में यह घटकर 6.2 प्रतिशत पर और मार्च की चौथी तिमाही में और घटकर 5.8 प्रतिशत पर आ जाएगी।

दास ने कहा कि सामान्य दक्षिण-पश्चिम मानसून की वजह से खरीफ की बुवाई और कृषि उत्पादन बढ़ेगा। हालांकि, भू-राजनीतिक स्थिति की वजह से जिंस बाजार में महंगाई का जोखिम बना रहेगा।

रिजर्व बैंक ने अप्रैल की अपनी मौद्रिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति के 5.7 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया था। रिजर्व बैंक ने उस समय कहा था कि पहली तिमाही में मुद्रास्फीति 6.3 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 5.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.1 प्रतिशत रहेगी।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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