लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख नियुक्त

इस्लमाबाद, 24 नवंबर (भाषा) पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व प्रमुख और वरिष्ठतम लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर को बृहस्पतिवार को देश का नया सेना प्रमुख नियुक्त किया।

इसके साथ ही तख्तापलट की आशंका वाले देश पाकिस्तान में इस शक्तिशाली पद पर नियुक्ति को लेकर काफी समय से जारी अटकलों पर विराम लग गया। पाकिस्तान में सुरक्षा और विदेश नीति के मामले में सेना का काफी दखल रहा है।

लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर ने दो सबसे शक्तिशाली खुफिया एजेंसियों इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) और मिलिट्री इंटेलिजेंस (एमआई) के प्रमुख के रूप में काम किया है। हालांकि वह अब तक सबसे कम समय के लिए आईएसआई प्रमुख रहे। आठ महीने के अंदर 2019 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के कहने पर उनकी जगह लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद को आईएसआई प्रमुख नियुक्त किया गया था।

मुनीर जनरल कमर बाजवा की जगह लेंगे, जो 29 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। बाजवा को 2016 में तीन साल के लिए सेना प्रमुख नियुक्त किया गया था। साल 2019 में उन्हें तीन साल का सेवा विस्तार दिया गया था।

राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, “राष्ट्रपति ने लेफ्टिनेंट जनरल सैयद आसिम मुनीर को तत्काल प्रभाव से जनरल के पद पर पदोन्नत करते हुए उन्हें 29 नवंबर 2022 से सेना प्रमुख (सीओएएस) नियुक्त किया है।”

बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति अल्वी ने लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा को तत्काल प्रभाव से जनरल के पद पर पदोन्नत किया है और उन्हें 27 नवंबर से ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी चेयरमेन (सीजेसीएससी) नियुक्त किया है।

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर को सेना प्रमुख और लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा को सीजेसीएससी नियुक्त करने के लिए बृहस्पतिवार को ही राष्ट्रपति अल्वी को एक सारांश भेजा था।

राष्ट्रपति पद संभालने से पहले पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ से संबंध रखने वाले अल्वी सारांश प्राप्त करने के बाद पार्टी के अध्यक्ष इमरान खान से मिलने के लिए लाहौर गए और प्रस्तावित नियुक्तियों पर परामर्श किया।

शाम को इस्लामाबाद लौटने के बाद, अल्वी ने सारांश पर हस्ताक्षर किए और लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर को नए सेना प्रमुख और लेफ्टिनेंट जनरल मिर्जा को अगले सीजेसीएससी के रूप में नियुक्त करने की मंजूरी दी।

सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रपति अल्वी ने नए सेना प्रमुख और सीजेसीएससी को राष्ट्रपति भवन में उनके साथ बैठक के लिए आमंत्रित किया है।

राष्ट्रपति की तरफ से मुनीर के नाम को मंजूरी देने के साथ ही नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हो गई। सेना प्रमुख की नियुक्ति के मुद्दे पर देश में राजनीतिक असमंजस और आर्थिक अस्थिरता पैदा हो गई थी।

दोनों अधिकारियों को चार स्टार वाले जनरल के तौर पर पदोन्नति भी दी गई है।

सीजेसीएससी सशस्त्र बलों के पदानुक्रम में सर्वोच्च प्राधिकरण है, लेकिन सैनिकों की तैनाती, नियुक्तियों और स्थानांतरण समेत प्रमुख शक्तियां सेना प्रमुख के पास होती हैं। इन शक्तियों के कारण सेना प्रमुख सबसे शक्तिशाली होता है।

पाकिस्तान को अस्तित्व में आए 75 से ज्यादा साल हो चुके हैं और देश में आधे से अधिक समय तक सेना का शासन रहा है। ऐसे में देश के सुरक्षा और विदेश नीति मामलों में सेना का काफी दखल रहा है।

नियुक्ति सेना और खान के बीच विवाद के साथ मेल खाती है, जो इस साल अप्रैल में अविश्वास मत के माध्यम से सेना को हटाने में भूमिका निभाने का आरोप लगाते हैं।

हाल में सेना और इमरान खान के बीच विवाद भी देखने को मिला है। खान को इस साल अप्रैल में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें हटाने में सेना ने भूमिका निभाई थी।

खान के करीबी सहयोगी और पूर्व सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने बुधवार को कहा कि “जब तक हम नए सेना प्रमुख के आचरण को नहीं देख लेते, तब तक हम उसके बारे में कुछ नहीं कह सकते, लेकिन पिछले छह महीने के दौरान राजनीति में सेना की भूमिका विवादास्पद रही है, यह भूमिका बदलने की आवश्यकता होगी।”

लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर सबसे वरिष्ठ जनरल हैं। हालांकि उन्हें सितंबर 2018 में टू-स्टार जनरल बनाया गया था, लेकिन उन्होंने दो महीने बाद कार्यभार संभाला था। इसलिए लेफ्टिनेंट जनरल के तौर पर उनका चार साल का कार्यकाल 27 नवंबर को खत्म होगा। हालांकि सेना प्रमुख नियुक्त होने के बाद उन्हें तीन साल का सेवा विस्तार मिल गया है।

मुनीर ‘फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट’ के जरिए सेना में शामिल हुए थे। जब जनरल बाजवा एक्स कोर के कमांडर थे, तब मुनीर उनके मातहत ‘फोर्स कमान नॉर्दन एरिया’ में ब्रिगेडियर थे। तब से मुनीर बाजवा के करीबी रहे हैं।

बाद में 2017 की शुरुआत में मुनीर को ‘मिलिट्री इंटेलिजेंस’ का प्रमुख नियुक्त किया गया था और उसके अगले साल अक्टूबर में आईएसआई प्रमुख बनाया गया था। उस समय वह गुजरांवाला कोर में कमांडर थे। वह दो साल तक इस पद पर रहे थे।

सिंध रेजीमेंट से ताल्लुक रखने वाले लेफ्टिनेंट जनरल मिर्जा का सेना में प्रभावशाली करियर रहा है। वह पिछले सात वर्षों के दौरान वरिष्ठ पदों पर रहे हैं।

वह 2013 से 2016 तक सेना प्रमुख रहे राहिल शरीफ के कार्यकाल के अंतिम दो वर्ष के दौरान सैन्य संचालन महानिदेशक (डीजीएमओ) रहे थे। इस दौरान वह चर्चा में आए थे। इस पद पर रहते हुए वह जनरल शरीफ की उस कोर टीम का हिस्सा थे, जिसने उत्तरी वजीरिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और अन्य आतंकवादियों के खिलाफ सैन्य अभियान की निगरानी की थी।

इसके अलावा, वह क्वाड्रिलेटरल कोऑर्डिनेशन ग्रुप (क्यूसीजी) से काफी करीब से जुड़े रहे। क्यूसीजी ने पाकिस्तान, चीन, अफगानिस्तान और अमेरिका के बीच अंतर-अफगान वार्ता में मध्यस्थता की थी। इसके अलावा, वह गिलगित-बाल्टिस्तान में सुधारों को लेकर सरताज अजीज के नेतृत्व वाली समिति के सदस्य भी थे।

तीन-स्टार रैंक में पदोन्नति के बाद, उन्हें जनरल स्टाफ का प्रमुख नियुक्त किया गया, जिससे वह सेना प्रमुख के बाद सेना में दूसरे सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन गए। उस भूमिका में, वह राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेशी मामलों से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लेने में शामिल रहे। वह पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ 2021 में चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ सामरिक वार्ता में भी शामिल हुए थे।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Associated Press (AP)

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