वायु प्रदूषण: न्यायालय ने ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ मुहिम को लेकर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई

नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ मुहिम को लेकर दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि यह लोकलुभावन नारा होने के अलावा और कुछ नहीं है।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की विशेष पीठ ने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने पिछली सुनवाई में घर से काम करने, लॉकडाउन लागू करने और स्कूल एवं कॉलेज बंद करने जैसे कदम उठाने के आश्वासन दिए थे, लेकिन इसके बावजूद बच्चे स्कूल जा रहे हैं और वयस्क घर से काम कर रहे हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘बेचारे युवक बैनर पकड़े सड़क के बीच खड़े होते हैं, उनके स्वास्थ्य का ध्यान कौन रख रहा है? हमें फिर से कहना होगा कि यह लोकलुभावन नारे के अलावा और क्या है?’’

दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने हलफनामे का हवाला देते हुए कहा कि सरकार ने विभिन्न कदम उठाए हैं।

इस पर पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘यह प्रदूषण का एक और कारण है, रोजाना इतने हलफनामे।’’

पीठ ने कहा, ‘‘हलफनामे में क्या यह बताया गया है कि कितने युवक सड़क पर खड़े हैं? प्रचार के लिए? एक युवक सड़क के बीच में बैनर लिए खड़ा है। यह क्या है? किसी को उनके स्वास्थ्य का ख्याल करना होगा।’’

इसके जवाब में सिंघवी ने कहा कि ये ‘‘लड़के’’ नागरिक स्वयंसेवक हैं।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरवील ने 21 अक्टूबर से 15 नवंबर तक के लिए ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ मुहिम शुरू करते हुए कहा था कि यदि शहर में 10 लाख वाहन इस मुहिम में शामिल हो गए, तो एक साल में पीएम10 का स्तर 1.5 टन और पीएम 2.5 का स्तर 0.4 टन कम हो जाएगा।

इस पहल के तहत, परिवहन विभाग के सरकारी अधिकारी, स्वयंसेवक और यातायात पुलिकर्मी यात्रियों से अनुरोध करते हैं कि वे हरी बत्ती जलने का इंतजार करते समय वाहन बंद कर दें। सरकार ने इस मुहिम की अवधि बढ़ाकर 30 नवंबर कर दी थी।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Getty Images

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