शरद पवार धड़े को ‘तुरही’ निशान मिलने के बाद तुरही वादकों को धंधा चौपट होने का डर

छत्रपति संभाजीनगर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में शरद पवार की अगुवाई वाले गुट को ‘तुरही बजाता व्यक्ति’ चुनाव निशान मिलने के बीच इस पारंपरिक वाद्ययंत्र के वादकों को इस साल उनका धंधा चौपट होने की आशंका सता रही है क्योंकि आम चुनाव और शादी का सीजन एक समय पर पड़ रहा है।

उन्हें आशंका है कि चूंकि आदर्श आचार संहिता प्रभाव में है ऐसे में इस साल उन्हें शायद शादियों एवं अन्य कार्यक्रमों में ‘तुरही’ बजाने के काम पर नहीं रखा जाएगा।

तुरही अंग्रेजी के ‘सी’ अक्षर की शक्ल में होती है और इसे स्वागत करने के लिए बजाया जाता है। पहले, इसे राजाओं के आगमन पर बजाया जाता था।

यहां विभिन्न कार्यक्रमों में तुरही बजाने वाले वादकों मुहैया कराने के पेशे में लगे जयसिंह होलिये ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि यह पारंपरिक वाद्ययंत्र है और इसे शादी एवं अन्य समारोहों में बजाया जाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन इस साल, लोकसभा चुनाव एवं शादी का सीजन एक समय पर है। ऐसे में हमें डर है कि इस साल हमारा धंधा चौपट न हो जाए।’’

शहर में रहने वाले तुरही वादक बाबूराव गुराव ने कहा, ‘ राजनीतिक दलों के पास हमारे रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल आने वाली चीजें या सामान चुनाव निशान के रूप में हैं। हम इनसे बच नहीं सकते। लेकिन हम इस बात को लेकर पक्के नहीं है कि एक प्रमुख राजनीतिक दल से जुड़ाव होने के कारण शादियों और अन्य पारिवारिक कार्यक्रमों में तुरही को कहां बजाया जाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ राजनीतिक कार्यक्रमों में हमारा धंधा छूट सकता है। आम तौर पर तुरही वादकों को सभी राजनीतिक दल चुनाव रैलियों में बुलाते हैं। लेकिन, चूंकि हमारा वाद्ययंत्र अब एक राजनीतिक दल का निशान बन गया है, ऐसे में हमें डर है कि शायद राजनीतिक दलों से ऑर्डर नहीं मिले। चूंकि आदर्श आचार संहिता प्रभाव में है, ऐसे में लोग हमें सांस्कृतिक या पारिवारिक कार्यक्रमों में भी नहीं बुलाने पर विचार कर सकते हैं।’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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