शी चिनफिंग का ब्रिक्स देशों से आह्वान, अशांति से जूझ रही दुनिया की मदद करें

बीजिंग, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने बृहस्पतिवार को ब्रिक्स को एक “सकारात्मक, प्रेरक और रचनात्मक बल” करार देते हुए कहा कि पांच देशों – ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका – के समूह को ऐसे समय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों को स्थिर करने में मदद करनी चाहिए जब दुनिया अशांति से जूझ रही है। इस दौरान उन्होंने सभी देशों में साझा सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये अपनी वैश्विक सुरक्षा पहल (जीएसआई) को भी आगे बढ़ाया।

ब्रिक्स के विदेश मंत्रियों की बैठक के उद्घाटन सत्र में एक वीडियो संबोधन में शी ने कहा कि वर्तमान में, प्रमुख बदलावों और महामारी के प्रभाव को जोड़ा जा रहा है, और अंतरराष्ट्रीय स्थिति में अस्थिरता, अनिश्चितता और असुरक्षा के कारक बढ़ रहे हैं।

इस बैठक में भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल हुए।

शी ने कहा, “इसके बावजूद, शांति और विकास समय का अपरिवर्तनीय विषय बना हुआ है, बेहतर जीवन के लिए देशों के लोगों की आकांक्षा अपरिवर्तित बनी हुई है, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एकजुटता और परस्पर लाभकारी सहयोग का ऐतिहासिक मिशन अपरिवर्तित है।”

चीन इस साल ब्रिक्स समूह का अध्यक्ष है। अगले महीने होने वाले ब्रिक्स वार्षिक शिखर सम्मेलन के हिस्से के रूप में विदेश मंत्रियों की बैठक वीडियो लिंक के माध्यम से आयोजित की गई थी।

शी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में एक सकारात्मक, प्रेरक और रचनात्मक शक्ति के तौर पर, ब्रिक्स देशों को विश्वास को मजबूत करने, तूफानों और लहरों का सामना करने और शांति और विकास को बढ़ावा देने, निष्पक्षता और न्याय को बनाए रखने और लोकतंत्र और स्वतंत्रता की वकालत करने के लिए वास्तविक कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि अशांति और बदलाव के इस दौर में अंतरराष्ट्रीय संबंधों में स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा लाई जा सके।

उन्होंने जोर देकर कहा कि इतिहास और वास्तविकता दोनों हमें बताते हैं कि दूसरों की कीमत पर अपनी सुरक्षा की तलाश करना केवल नए तनाव और जोखिम पैदा करेगा। विश्व में साझा सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए, उन्होंने कुछ समय पहले ग्लोबल सिक्योरिटी इनिशिएटिव (जीएसआई) पेश किया था।

यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध और अमेरिका द्वारा क्वाड (यूएस, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया) और ऑकुस (यूएस, यूके और ऑस्ट्रेलिया) के साथ चीन की बढ़ती चिंताओं के बीच, शी ने इस साल अप्रैल में बोआओ में जीएसआई का प्रस्ताव रखा था। इसमें मोटे तौर पर कहा गया है कि देशों को दूसरों की संप्रभुता के साथ-साथ उनकी सुरक्षा चिंताओं का भी सम्मान करना चाहिए।

चीन मॉस्को का करीबी सहयोगी है और यूक्रेन पर रूस के हमले का समर्थन करते हुए इसकी वजह उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के विस्तार को लेकर रूस की सुरक्षा चिंता को बताता है।

इसी तरह, चीन विवादित दक्षिण चीन सागर में बीजिंग के आक्रामक विस्तार के साथ-साथ ताइवान पर कब्जा करने के उसके भड़काऊ कदमों पर वैश्विक चिंताओं का विरोध करने के लिए नौवहन की स्वतंत्रता पर जोर देने वाली अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति की आलोचना करता रहा है। चीन ताइवान के अपनी मुख्यभूमि का हिस्सा होने का दावा करता रहा है।

वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान दक्षिण चीन सागर पर चीनी रुख का विरोध करते हैं।

चीन क्वाड के साथ-साथ ऑकुस का इस आधार पर विरोध करता है कि उनका उद्देश्य उसके (चीन) विकास को बाधित करना है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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