श्रीलंका के चिकित्सा समूह ने चिकित्सा सामग्री की भयावह कमी को लेकर चेताया

कोलंबो, श्रीलंका के राष्ट्रीय चिकित्सा संघ ने बृहस्पतिवार को चेतावनी दी कि आर्थिक संकट के कारण दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की गंभीर कमी के कारण अस्पताल आगामी हफ्तों में आपातकालीन सेवाएं भी प्रदान करने में असमर्थ होंगे। अगर चिकित्सा सामग्री की आपूर्ति नहीं हुई तो बड़ी संख्या में लोगों की जान जा सकती है।

श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और महीनों से ईंधन और अन्य आवश्यक चीजों की कमी का सामना कर रहा है। आर्थिक समस्याओं पर विरोध देश भर में फैल गया है और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे रएवं उनके राजनीतिक रूप से शक्तिशाली परिवार की आलोचना हो रही है।

श्रीलंका मेडिकल एसोसिएशन ने बृहस्पतिवार को राजपक्षे को लिखे पत्र में कहा कि अस्पतालों ने पहले ही नियमित सर्जरी जैसी सेवाओं को कम करने और खतरनाक बीमारियों के इलाज के लिए उपलब्ध चिकित्सा सामग्री के उपयोग को सीमित करने का फैसला किया है। पत्र में कहा गया है कि अगर आपूर्ति की तत्काल व्यवस्था नहीं की जाती, तो कुछ हफ्तों में आपातकालीन उपचार भी संभव नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप अनगिनत मौतें होंगी।

संकट के समाधान और आर्थिक कुप्रबंधन के लिए राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों समेत हजारों लोग इस सप्ताह प्रदर्शन कर रहे हैं। राजपक्षे ने पद छोड़ने की मांगों का विरोध किया है। हालांकि पार्टी के सांसदों ने संभावित हिंसा से बचने के लिए एक अंतरिम सरकार की नियुक्ति का आह्वान किया।

राजपक्षे ने पहले एकीकृत सरकार बनाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन मुख्य विपक्षी दल ने इस विचार को खारिज कर दिया। राजपक्षे के मंत्रिमंडल ने रविवार रात इस्तीफा दे दिया और मंगलवार को गठबंधन के लगभग 40 सांसदों ने कहा कि वे अब गठबंधन के निर्देशों के अनुसार मतदान नहीं करेंगे, जिससे सरकार काफी कमजोर हो गई है।

इससे आर्थिक संकट एक राजनीतिक संकट में बदल गया है, जिसमें महत्वपूर्ण वित्त एवं स्वास्थ्य मंत्रियों सहित कोई कार्यशील कैबिनेट नहीं है। संकट से कैसे निपटा जाए, इस पर तीन दिनों की बहस में संसद आम सहमति तक पहुंचने में विफल रही है।

राष्ट्रपति और उनके बड़े भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, राजनीतिक रूप से शक्तिशाली अपने परिवार के सार्वजनिक आक्रोश का केंद्र बनने के बावजूद सत्ता पर काबिज हैं। परिवार के पांच अन्य सदस्य सांसद हैं, जिनमें वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे, सिंचाई मंत्री चमल राजपक्षे और एक भतीजा खेल मंत्री नमल राजपक्षे शामिल हैं।

सरकार का अनुमान है कि कोविड-19 महामारी के कारण पिछले दो वर्षों में श्रीलंका की पर्यटन पर निर्भर अर्थव्यवस्था को 14 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है। प्रदर्शनकारियों ने वित्तीय कुप्रबंधन का भी आरोप लगाया।

बुनियादी ढांचे और अन्य परियोजनाओं के लिए भारी कर्ज लेने के बाद देश पर भारी विदेशी कर्ज है। देश को अकेले इस वर्ष लगभग सात अरब अमेरीकी डॉलर का विदेशी ऋण चुकाना है। कर्ज और घटते विदेशी भंडार के कारण श्रीलंका आयातित वस्तुओं का भुगतान करने में असमर्थ है।

राजपक्षे ने पिछले महीने कहा था कि उनकी सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ बातचीत कर रही है और ऋण के लिए चीन और भारत की ओर रुख किया है और लोगों से ईंधन और बिजली के उपयोग को सीमित करने की अपील की है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Associated Press

%d bloggers like this: