संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान में हत्याओं, मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा की

इस्लामाबाद, संयुक्त राष्ट्र ने बुधवार को एक रिपोर्ट में कहा कि करीब एक साल पहले तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से देश में सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं, हालांकि तब से सुरक्षा में सुधार हुआ है।

अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन ने अपनी रिपोर्ट में तालिबान के कब्जे के बाद से महिलाओं और लड़कियों की खराब स्थिति तथा अफगानिस्तान के वर्तमान शासकों के तहत मानवाधिकारों के उल्लंघन पर भी प्रकाश डाला है।

महासचिव के अफगानिस्तान मामलों के उप-विशेष प्रतिनिधि मार्कस पोटजेल ने कहा, ‘‘हमारी निगरानी से पता चलता है कि 15 अगस्त के बाद से बेहतर सुरक्षा स्थिति के बावजूद, अफगानिस्तान के लोग, विशेष रूप से महिलाएं और लड़कियां, अपने मानवाधिकारों के पूर्ण आनंद से वंचित हैं।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त 2021 के मध्य से अब तक 700 लोग मारे गए हैं और 1,400 अन्य घायल हुए हैं।

उल्लेखनीय है कि तालिबान ने अमेरिका और नाटो बलों की वापसी के दौरान पिछले साल 15 अगस्त को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया था।

हताहतों में से अधिकतर को देश में इस्लामिक स्टेट समूह के सहयोगी संगठन द्वारा किए गए हमलों का सामना करना पड़ा है। इस संगठन ने शियाओं और हजारा जैसे जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाया है।

संयुक्त राष्ट्र ने यह भी कहा कि तालिबान द्वारा पिछले साल पूर्व सरकारी अधिकारियों के लिए घोषित की गई माफी को बरकरार नहीं रखा गया है।

अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की ओर से मानवाधिकार प्रतिनिधि फियोना फ्रेजर ने कहा कि विश्व निकाय ने देश में पूर्व सरकारी और सैन्य अधिकारियों की 160 न्यायेतर हत्याएं तथा 178 गिरफ्तारियां दर्ज की हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच अधिकारियों द्वारा की जानी चाहिए, अपराधियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और भविष्य में घटनाओं को दोबारा होने से रोका जाना चाहिए।

वहीं, तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को “निराधार और दुष्प्रचार” करार दिया तथा कहा कि इसके निष्कर्ष “सच नहीं” हैं।

मुजाहिद ने कहा कि देश में मनमानी गिरफ्तारियों और हत्याओं की अनुमति नहीं है तथा अगर कोई इस तरह के अपराध करेगा तो उसे दोषी माना जाएगा और उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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