सबरीमला ‘भंडारम’ से मुद्रा चोरी का मामला : केरल उच्च न्यायालय ने कहा, वहां सख्त अधिकारी की जरूरत

कोच्चि (केरल), सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा मंदिर के ‘भंडारम’ से महज एक महीने के अंतराल में चोरी की दो घटनाओं को लेकर केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि इस तरह के अपराध को रोकने के लिए वहां एक ‘सख्त अधिकारी’ होना चाहिए।

इससे पहले 16 दिसंबर, 2021 को सबरीमला सन्निधानम के ‘भंडारम’ में मुद्रा गिनने के लिए नियुक्त त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड (टीडीबी) का एक कर्मचारी वहां से धन चुराते पकड़ा गया था। इस कर्मचारी के कमरों की तलाशी करने पर वहां से 42,470 रुपये बरामद हुए थे।

इसके बाद आठ जनवरी, 2022 को मुद्रा गिनने के लिए नियुक्त एक अन्य कर्मचारी भी ‘भंडारम’ से 3500 रुपये की चोरी करते रंगे हाथों पकड़ा गया था।

चोरी की दूसरी घटना उच्च न्यायालय के 21 दिसंबर, 2021 के निर्देशों के बावजूद हुई। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि ‘‘सबरीमला सन्निधानम में ‘भंडारम’ में पूरी गतिविधि की निरंतर निगरानी की जाए ताकि कर्मचारियों द्वारा नकदी नोट, सिक्के, प्रसाद आदि गिनने के दौरान उनकी किसी भी तरह की चोरी को रोका जा सके।’’

अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘कर्मचारियों के इस तरह के किसी भी अपराध के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ऐसी घटनाओं को विशेष आयुक्त, सबरीमला के संज्ञान में लाया जाएगा, जो रिपोर्ट दाखिल कर इसे इस अदालत के संज्ञान में लाएंगे।’’ उच्च न्यायालय ने अपने पहले के आदेश में कहा था, ‘‘ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई को भी विशेष आयुक्त के संज्ञान में लाया जाएगा ताकि वह इस अदालत के समक्ष उचित रिपोर्ट दाखिल कर सकें।’’

न्यायमूर्ति अनिल के नरेंद्रन और पी जी अजीतकुमार की पीठ ने बुधवार को 21 दिसंबर, 2021 के अपने निर्देशों को दोहराया और चोरी की ताजा घटना के आधार पर दाखिल याचिका का निपटारा कर दिया। पीठ ने अपने पूर्व के निर्देशों को दोहराते हुए कहा, ‘‘एक सख्त अधिकारी होना चाहिए। अपराध के मामले केवल इसलिए दर्ज किए गए क्योंकि हमने कुछ आदेश पारित किए थे।’’

मामले की सुनवाई के दौरान पीठ को बताया गया कि ताजा घटना के संबंध में पहले ही प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है और दोषी टीडीबी कर्मचारी न्यायिक हिरासत में है। अदालत को बताया गया कि पिछले साल दिसंबर में ‘भंडारम’ से धन चुराते पकड़े गए टीडीबी कर्मचारी के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई की गई है।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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