सरकार से देशद्रोह और आतंकवाद रोधी कानून, जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर चर्चा की : ईयू प्रतिनिधि

नयी दिल्ली, यूरोपीय संघ के मानवाधिकार पर विशेष प्रतिनिधि इमोन गिल्मोर ने शुक्रवार को कहा कि भारत सरकार से उनकी हुई मुलाकात के दौरान देशद्रोह और आतंकवाद रोधी कानूनों के इस्तेमाल, अल्पसंख्यकों की स्थिति, सांप्रदायिक हिंसा और जम्मू-कश्मीर की हालात जैसे मुद्दों पर चर्चा की।

गिल्मोर ने यह भी कहा कि भारत यात्रा के दौरान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सदस्यों के साथ हुई उनकी मुलाकात के दौरान विदेशी चंदा (नियमन) अधिनियम (एफसीआरए), हिरासत, जमानत, देशद्रोह और आतंकवाद रोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम (यूएपीए), अल्पसंख्यकों और व्यक्तियों के मामलों में आयोग की भूमिका पर भी चर्चा हुई।

उल्लेखनीय है कि यूरोपीय संघ प्रतिनिधिमंडल जिसमें गिल्मोर और ईयू के भारत में राजदूत उगो एस्टुटो शामिल हैं ने बृहस्पतिवार को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से दिल्ली में मुलाकात की। इससे एक दिन पहले प्रतिनिधिमंडल ने एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (अवकाश प्राप्त) अरुण कुमार मिश्रा और आयोग के अन्य सदस्यों से मुलाकात की थी।

गिल्मोर ने बैठक के बाद नकवी को टैग कर ट्वीट किया, ‘‘अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी सहित सरकार के साथ मुलकात के दौरान मैंने एफसीआरए, देशद्रोह और आतंकवाद रोधी कानून के इस्तेमाल, हिरासत, अल्पसख्ंयकों की स्थिति, सांप्रदायिक हिंसा, जम्मू-कश्मीर की स्थिति और व्यक्तियों के मामलों पर चर्चा की।’’

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय में मौजूद सूत्रों के मुताबिक नकवी ने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि भारत में सभी वर्गों के संवैधानिक और धार्मिक अधिकार निश्चित तौर पर सुरक्षित हैं लेकिन ‘‘किसी को भी जबरन और फर्जीवाड़े से धर्मांतरण कराने में संलिप्त होने अधिकार नहीं है।’’

माना जाता है कि नकवी ने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि ‘‘वर्ष 2014 के बाद से भारत में एक भी बड़ा सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ है’’ लेकिन कुछ गिने चुने आपराधिक मामलों को ‘‘सांप्रदायिक रंग’’ देने की कुछ साजिश है।

सूत्रों ने बताया कि मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि कुछ लोग हैं जो लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत को ‘साजिश’ के तहत ‘बदनाम’ करने की कोशिश कर रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक उन्होंने कहा कि कई बार वे पत्र लिखते हैं जबकि बाकी समय में वे ‘‘इस्लोफोबिया’’ का मुद्दा उठाते हैं।

नकवी ने इस बात पर भी जोर दिया कि मोदी सरकार ने पिछले आठ साल में अलपसंख्यक समुदाय के करीब पांच करोड़ छात्रों को छात्रवृत्ति दी है।

उन्होंने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि केंद्र सरकार की नौकरियों में अल्पसंख्यकों की संख्या उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 10 प्रतिशत से अधिक हो गई है।

सूत्रों ने बताया कि मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को कहा कि अल कायदा और आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठन ‘‘ अपने नापाक’’मंसूबों में यूरोप व अन्य देशों में सफल हो सकते हैं लेकिन भारत में वे कभी सफल नहीं हुए , और भारत की सांस्कृतिक सह अस्तित्व और अनेकता में एकता की मजबूती से यह हुआ।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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