साइबर अपराधों से निपटने के लिये सख्त नियमन की जरूरत : सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव

नयी दिल्ली, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साइबर अपराधों से निपटने के लिये सख्त नियमन की जरूरत को रेखांकित करते हुए बुधवार को कहा कि ओवर दी टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म के संबंध में सख्त मानदंड बनाने के लिये व्यापक चर्चा एवं आमसहमति बनाये जाने की जरूरत है।

लोकसभा में हिबी इडेन, एम के विष्णु प्रसाद तथा कुछ अन्य सदस्यों के प्रश्न के उत्तर में वैष्णव ने कहा कि ओवर दी टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म के संबंध में सख्त मानदंड बनाने के लिये व्यापक चर्चा एवं आमसहमति बनाये जाने की जरूरत है ताकि ऐसे फिल्मों और धारावाहिकों के प्रसारण को नियंत्रित किया जा सके जो समाज एवं विभिन्न धर्मो में बैमनस्य पैदा करते हैं।

उन्होंने कहा कि इंटरनेट के विस्तार और अधिक से अधिक भारतीयों के ऑनलाइन आने के साथ बच्चों के खिलाफ ऑनलाइन अपराधों सहित साइबर अपराध की घटनाएं भी बढ़ रही हैं।

मंत्री ने कहा, ‘‘ इस संबंध में कड़े नियमन के लिये आम सहमति बनाने की जरूरत है। इसमें कोई संदेह नहीं है। ’’

अश्विनी वैष्णव ने प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि साइबर क्षेत्र की कई चुनौतियां हैं जो इसकी विशालता और सीमाहीन लक्षण के कारण हैं। यही कारण है कि सरकार ऐसी नीतियों और कार्यो के लिए प्रतिबद्ध है जो यह सुनिश्चित करती है कि भारत में इंटरनेट हमेशा खुला, सुरक्षित और भरोसेमंद तथा सभी भारतीयों के लिए जवाबदेह है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीअरबी) अपने प्रकाशन “भारत में अपराध” में अपराधों पर सांख्यिकीय डेटा संकलित और प्रकाशित करता है। नवीनतम प्रकाशन रिपोर्ट वर्ष 2020 के लिए है।

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने बताया कि एनसीआरबी द्वारा प्रकाशित अंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 और 2020 के दौरान बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध के क्रमशः 306 और 1102 मामले दर्ज किए गए।

उन्होंने कहा कि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार ‘पुलिस’ और ‘लोक व्यवस्था’ राज्य के विषय हैं। राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलइए) के माध्यम से अपराधों की रोकथाम, पता लगाने, जांच करने और अभियोजन के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।

वैष्णव ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 की धारा 67ख में बाल यौन शोषण सामग्री को ऑनलाइन प्रकाशित करने, प्रसारित करने या देखने के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।

उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय (एमएचए) ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों पर विशेष ध्यान देने के साथ सभी प्रकार के साइबर अपराधों से संबंधित शिकायतों की रिपोर्ट करने में नागरिकों को सक्षम बनाने के लिए एक राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल बनाया है।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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