सीएक्यूएम ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से निपटने की योजना में संशोधन किया

नयी दिल्ली, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने स्थिति की गंभीरता के अनुरूप प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लागू वर्गीकृत प्रतिक्रिया कार्य योजना में विस्तृत रूप से संशोधन किया है।

संशोधित योजना दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सीएक्यूएम द्वारा तैयार संशोधित योजना में पूर्वानुमान के आधार पर इस समस्या से निपटने के लिए अतिसक्रिय तरीके से योजना को लागू करने पर ध्यान केंद्रित करती है।

इससे पहले अधिकारी प्रदूषण से निपटने के उपायों को वातावरण में पीएम-10 और पीएम-2.5 का स्तर एक निश्चित स्तर पर पहुंचने के बाद लागू करते थे।

नयी योजना में एनसीआर के जिलों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 से अधिक होने पर आवश्यक सेवाओं को छोड़कर बीएस-IVमानक तक के चार पहिया वाहनों के परिचालन पर रोक लगाने का प्रावधान किया गया है।

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने वर्ष 2017 में वर्गीकृत प्रतिक्रिया कार्ययोजना (जीआरएपी) को अधिसूचित किया था और यह उसी साल अक्टूबर के मध्य में तब प्रभावी हुयी जब वायु प्रदूषण की स्थिति खराब होनी शुरू हुई।

राष्ट्रीय राजधानी के लिए जीआरएपी को अब खराब वायु गुणवत्ता के आधार पर चार स्तरों में परिभाषित किया गया है। पहला स्तर ‘खराब’ (वायु गुणवत्ता सूचंकाक-एक्यूआई201- 300 होने पर), दूसरा स्तर ‘बहुत खराब’ (एक्यूआई-301 से 400 के बीच), तीसरा स्तर ‘गंभीर’ (एक्यूआई 401 से 450) और चौथा स्तर ‘अति गंभीर’ (एक्यूआई 450 से अधिक) है।

संशोधित जीआरएपी में पहले स्तर पर ही प्रदूषण होने पर कोयला, लकड़ी जलाने पर रोक लगाने का प्रावधान किया गया, जिनमें तंदूर होटल, खुले में चल रहे ढाबे, डीजल जेनरेटर शामिल हैं। इस श्रेणी में केवल आवश्यक और आपात सेवाओं को इन दो ईंधनों के इस्तेमाल पर छूट मिलेगी।

अगर स्थिति ‘गंभीर’ (तीसरे स्तर) तक पहुंचती है तो अधिकारी दिल्ली-एनसीआर में आवश्यक परियोजनाओं जैसे रेलवे, मेट्रो, हवाई अड्डे, अंतरराज्यीय बस अड्डा (आईएसबीटी, राष्ट्रीय सुरक्षा/रक्षा से जुड़ी राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं) को छोड़कर निर्माण और ध्वस्तीकरण के कार्य पर रोक लगा देंगे। इस स्तर के प्रदूषण में गैर प्रदूषणकारी कार्य जैसे नल, लकड़ी, आतंरिक सज्जा और बिजली के काम पर रोक से छूट होगी।

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण तीसरे स्तर पर पहुंचने पर स्वच्छ ईंधन से चलने वाले ईंट भट्टे, हॉट मिक्स संयंत्र और पत्थर तोड़ने वाले संयंत्र और खनन गतिविधियां भी प्रतिबंधित रहेंगी।

नीतिगत दस्तावेज में कहा गया, ‘‘ दिल्ली-एनसीआर की राज्य सरकारें प्रदूषण के तीसरे स्तर पर बीएस-III मानक पेट्रोल वाहन और बीएस-IV मानक हल्के डीजल मोटर वाहन पर भी रोक लगा सकती हैं।’’

दस्तावेज के मुताबिक चौथे चरण या ‘‘अति गंभीर’’ स्थिति से निपटने की योजना के तहत दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर रोक और दिल्ली में पंजीकृत मध्यम और भारी माल ढोने वाले वाहनों पर भी रोक रहेगी,लेकिन आवश्यक सेवाओं में लगे ऐसे वाहनों के परिचालन को प्रतिबंध से ढील दी जाएगी।

चौथे स्तर के प्रदूषण में दिल्ली और एनसीआर के जिलों में बीएस-IV मानक के वाहन और आवश्यक सेवाओं से जुड़े वाहनों को छोड़कर डीजल चालित हल्के मोटर वाहन भी प्रतिबंधित रहेगे।

चौथे स्तर के प्रदूषण की स्थिति में प्रदूषण करने वाले ईंधन से चलने वाले उद्योगों और राजमार्ग, सड़क, फ्लाईओवर, ओवर ब्रिज, बिजली पारेषण और पाइपलाइन के निर्माण और ध्वस्तीकरण की गतिविधियां भी प्रतबंधित रहेंगी।

दस्तावेज के मुताबिक, ‘‘राज्य सरकारें सरकारी और निजी कार्यालयों के 50 प्रतिशत करर्मचारियों को घर से ही काम करने देने की अनुमति देने पर विचार कर सकती हैं। इसके अलावा शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने और वाहनों के परिचालन के लिए सम-विषम व्यवस्थाओं को लागू करने पर विचार कर सकती हैं।’’

स्तर दो, तीन और चार के तहत कार्ययोजना को लागू करने के लिए कम से कम गत तीन दिनों के एक्यूआई पर विचार किया जाएगा।

इससे पहले अधिकारी पीएम-2.5 या पीएम.10 के स्तर के आधार पर प्रदूषण प्रतिक्रिया कार्य योजना लागू करते थे।

‘ अति गंभीर’स्तर घोषित करने के लिए एजेंसियों को कम से कम 48 घंटे या अधिक समय तक पीएम-2.5 और पीएम 10 स्तर क्रमश: 300 और 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के स्तर का इंतजार करना पड़ेगा।

दस्तावेज के मुताबिक जीआरएपी की उप समिति लगातार पहले ही कार्ययोजना और आदेश पारित करने के लिए बैठक करेगी। ये आदेश भारत के मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा समय-समय पर एक्यूआई को लेकर दिए गए पूर्वानुमान पर आधारित होगा।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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