हर जगह गूंज उठी थी जुल्म के खिलाफ लड़ाई की कहानी: ‘लगान’ के 20 साल पूरे होने पर बोले गोवारिकर

मुंबई, फिल्म निर्माण की प्रक्रिया से लेकर बॉक्स ऑफिस पर शानदार सफलता मिलने और ऑस्कर के लिए नामांकन तक “लगान” की यात्रा, निर्देशक आशुतोष गोवारिकर के लिए यादगार रही, जो चाहते थे कि फिल्म समय की कसौटी पर खरी उतरे। उन्हें अपनी इस ब्लॉकबस्टर फिल्म के मुख्य किरदार के लिए अपने पसंदीदा आमिर खान और संगीत रचना के लिए ए आर रहमान को मनाने में भी काफी समय लगा था।

“लगान” (कर) में चंपानेर, गुजरात के एक ग्रामीण युवक भुवन (आमिर खान) की कहानी है, जिसे एक अहंकारी ब्रिटिश अधिकारी, बकाया लगान देने से बचने के लिए क्रिकेट खेलने की चुनौती देता है। इस अधिकारी के किरदार को पॉल ब्लैकथॉर्न ने निभाया था।

निर्देशक ने कहा कि स्क्रीन पर खेला गया यादगार मैच न केवल क्रिकेट के बारे में था, बल्कि उत्पीड़कों और उत्पीड़ितों के बीच संघर्ष की भावना और मुक्ति के संकल्प का भी था। उनके अनुसार,यह एक ऐसा विषय था, जिसकी गूंज हर जगह हुई थी।

गोवारिकर ने पीटीआई-भाषा को एक साक्षात्कार में बताया, “जब भी कोई फिल्म निर्माता कोई फिल्म बनाता है तो उसका पहला विचार अनंत काल के लिए कुछ ऐसा बनाना होता है जिसे आने वाली पीढ़ियां भी पसंद करें। यह एक फिल्मकार का प्रारंभिक विचार और उसकी महत्वाकांक्षा होती है। आप बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं लेकिन आप यह कभी नहीं जानते कि क्या यह फिल्म समय की कसौटी पर खरा उतरने जा रही है।” “लगान” देश की दो पसंदीदा चीजें सिनेमा और क्रिकेट को भी एक साथ ले कर आई।

गोवारिकर ने पुराने दिनों को याद किया कि कैसे थिएटर स्टेडियमों में तब्दील हो गए थे। उन्होंने कहा, “यह जबरदस्त चीज थी कि लोग इससे गहरे से जुड़े और चाहते थे कि भुवन जीते… मैं एक ऐसी फिल्म बनाना चाहता था जिसे पूरे भारत में पसंद किया जाए। भारत के भीतर, अगर महाराष्ट्र और ओडिशा में एक फिल्म पसंद की जाती है, तो मेरे लिए, वह बहुत बड़ी बात है।” मुंबई के प्रतिष्ठित गेयटी गैलेक्सी सिनेमा में दर्शकों की प्रतिक्रिया अद्भुत थी जब फिल्म को अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के लिए विश्व स्तर पर प्रदर्शित किया गया था। गोवारिकर ने कहा ‘‘दर्शकों का उत्साह, उनकी उल्लास भरी आवाजें आज भी मैं नहीं भूल पाया।’’ फिल्म ने भारी सफलता अर्जित की, लेकिन फिल्म की ऑफ-स्क्रीन यात्रा उतनी ही कठिन रही जितना कि अप्रशिक्षित ग्रामीणों का अपने औपनिवेशिक शासकों के खिलाफ संघर्ष करना। गोवारिकर ने एक पीरियड फिल्म की कहानी के लगभग 21 मसौदे लिखे थे, तब जाकर इसकी कहानी को अंतिम रूप दिया गया था। हालांकि उन दिनों, पीरियड फिल्म में धोती पहने नायकों के क्रिकेट मैच खेलने वाली बात निर्माताओं के गले नहीं उतरी और उन्होंने गोवारिकर के इस विचार को ‘‘मूर्खतापूर्ण’’ करार दिया था।

निर्देशक की एक ड्रीम टीम थी जिसे गोवारिकर इस फिल्म के लिए एक साथ लाना चाहते थे…. वह भुवन के रूप में आमिर खान को लेना चाहते थे, संगीत के लिए रहमान, गीत के लिए जावेद अख्तर, परिधान डिजाइन के लिए भानु अथैया और कई ब्रिटिश अभिनेताओं को लेना चाहते थे। इन सबको एक साथ लाने में गोवारिकर को काफी मशक्कत करनी पड़ी। फिल्म के लिए आमिर खान की सहमति मिलने में लगभग एक साल लग गया।

फिल्म के गीत-संगीत शानदार रहे। सभी अभिनेताओं ने लाजवाब काम किया। फिल्म को दुनियाभर में काफी प्यार मिला। संगीतकार रहमान के बारे में गोवारिकर ने बताया कि उन्होंने उन्हें चार घंटे तक पटकथा सुनाई और वह रहमान की ‘‘हां’’ पटकथा के आधार पर ही चाहते थे। ‘‘रहमान की हां आसानी से नहीं मिलती। लेकिन मेरी बात, मेरी परिकल्पना सुन कर उन्होंने हां कर दी।’’

गोवारिकर ने कहा कि वह “लगान” के अंतिम संस्करण से संतुष्ट हैं, जो 3 घंटे 42 मिनट का है।

“लगान” ने 74वें अकादमी पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म श्रेणी में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। यह “मदर इंडिया” (1957) और “सलाम बॉम्बे!” (1988) के बाद इस श्रेणी में नामांकित होने वाली देश की तीसरी फिल्म थी।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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