असम-मेघालय सीमा मुद्दे के हल पर हिमंत ने कहा: निर्णय अब केंद्र को लेना है

गुवाहाटी, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने रविवार को कहा कि असम और मेघालय द्वारा दोनों पड़ोसी राज्यों के बीच लंबे समय से जारी सीमा विवाद के एक हिस्से को सुलझाने के लिए भेजी गई सिफारिशों पर अंतिम फैसला अब केंद्र को लेना है।

सरमा ने हालांकि सीमा विवाद को हल करने के लिए प्रस्तावित ‘आदान-प्रदान’ के फॉर्मूले का विरोध करने के लिए कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि अविभाजित असम से अन्य सभी राज्यों के अलग होने के पीछे कांग्रेस ही थी।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत की स्वतंत्रता के बाद अधिकांश समय तक केंद्र और पूर्वात्तर राज्यों में सत्ता में रही कांग्रेस ने सीमा विवादों को सुलझाने से परहेज किया ताकि पड़ोसी राज्य हमेशा एक-दूसरे के साथ संघर्षरत रहें।

सरमा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘गेंद अब केंद्र के पाले में है। हमने अपनी सिफारिशें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सौंप दी हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह उन पर निर्भर करता है कि वे हमें आगे की चर्चा के लिए कब बुलाते हैं।’’

सरमा और मेघालय के उनके समकक्ष कोनराड संगमा ने छह क्षेत्रों में विवादों पर गौर करने के लिए दोनों राज्यों द्वारा गठित तीन क्षेत्रीय समितियों की सिफारिशें 20 जनवरी को नयी दिल्ली में शाह को सौंपी थीं।

कांग्रेस ‘आदान-प्रदान’ के फॉर्मूले का विरोध करने में मुखर रही है। मुख्यमंत्री ने पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘कांग्रेस ने असम से मेघालय राज्य बनाया था। इसने असम की राजधानी को भी मेघालय स्थानांतरित कर दिया। उन्हें अभी विरोध करने का अधिकार नहीं है।’’

अविभाजित असम की राजधानी शिलांग में थी, जो मेघालय के गठन के बाद इसका मुख्यालय बन गया, जबकि गुवाहाटी में दिसपुर को असम की नयी राजधानी के रूप में चुना गया।

सरमा ने कहा, ‘‘सीमा विवाद कांग्रेस की भूल के कारण हैं। उन्होंने अविभाजित असम से जल्दबाजी में नए राज्यों का गठन किया था और सीमाओं को निर्धारित किये बिना छोड़ दिया था।’’

अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के साथ सीमा विवाद पर सरमा ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के साथ मतभेद ‘समय के साथ’ सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हालांकि अभी तक मिजोरम के साथ कोई बातचीत नहीं हुई है, लेकिन असम के सीमा क्षेत्र विकास मंत्री अतुल बोरा इस मुद्दे पर पड़ोसी राज्य के गृह मंत्री के संपर्क में हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘नगालैंड का मुद्दा उच्चतम न्यायालय के समक्ष है और हम शायद दो-तीन साल में फैसला आने की उम्मीद कर सकते हैं।’’

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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