उपभोक्ता मंच सर्वेयर की रिपोर्ट की फॉरेंसिक जांच का आदेश नहीं दे सकता: न्यायालय

नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि किसी उपभोक्ता को उपभोक्ता मंच में तब तक सफलता नहीं मिल सकती जब तक कि सेवाप्रदाता की सेवाओं में खामी की बात स्थापित नहीं हो जाती है। वहीं, न्यायालय ने कहा कि इस तरह का मंच दीवानी अदालत की तरह बीमा सर्वेयर की रिपोर्ट की ‘फॉरेंसिक जांच’ के लिए नहीं कह सकता।

शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) के इन निष्कर्षों को उचित ठहराया कि बीमा कंपनी की ओर से सेवाओं में खामी स्थापित होने तक उपभोक्ताओं को इसमें सफलता नहीं मिल सकती।

यह फैसला इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि एक कंपनी ने इस आधार पर अधिक राशि का दावा किया था कि सर्वेयर ने बीमित संपत्ति को हुए नुकसान का सही आकलन नहीं किया था।

न्यायालय ने कहा, ‘‘उपभोक्ता मंच सेवाओं में खामी से संबंधित है और वह दीवानी अदालत की तरह सर्वेयर की रिपोर्ट की फॉरेंसिक जांच के लिए नहीं कह सकता।’’

न्यायालय ने यह निर्णय खातेमा फाइबर्स लि. द्वारा एनसीडीआरसी के आदेश के खिलाफ अपील पर दिया है। एनसीडीआरसी ने अपने फैसले में कहा था कि साधारण बीमा कंपनी न्यू इंडिया एश्योरेंस को सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर 2.86 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा।

कंपनी ने सात मई, 2007 से छह मई, 2008 के लिए 42.40 करोड़ रुपये की ‘स्टैंडर्ड फायर एंड सोशल पेरिल’ पॉलिसी ली थी। 15 नवंबर, 2007 को कंपनी के कारखाने में आग लग गई। कंपनी ने कहा कि इस आग में उसका 13 करोड़ रुपये मूल्य का 8,500 टन कागज जल गया है। हालांकि, सर्वेयर कंपनी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में नुकसान का आकलन 2.86 करोड़ रुपये किया था।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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