गुलजार ने अपनी किताब में दिग्गज अभिनेता किशोर कुमार के बारे में कई रोचक बातों को साझा किया

नयी दिल्ली, कवि-गीतकार गुलजार ने अपनी नई किताब में भारतीय सिनेमा जगत की दिग्गज हस्ती किशोर कुमार के बारे में कई रोचक बातों को साझा किया है। किताब ‘‘एक्चुअली… आई मेट देम: ए मेमॉयर’’में बताया गया है कि अपने मनमौजी स्वभाव के लिए चर्चाओं में रहने वाले किशोर कुमार एक फिल्म की शूटिंग से पहले गंजे हो गये थे।

किताब में कहा गया है कि ‘‘आनंद’’ में नायक की भूमिका निभाने से बचने के लिए ‘‘पूरी तरह से गंजे’’ होने से, लेकर अपनी अलमारी के पीछे एक ‘‘गुप्त सीढ़ी’’ से गायब होने तक वह निर्माताओं को परेशान करने के लिए कई तरकीबें निकाल लेते थे।

गुलजार के अनुसार, अभिनेता राजेश खन्ना के बजाय किशोर कुमार शुरू में 1971 में आई फिल्म ‘‘आनंद’’ में अभिनय करने के लिए तैयार थे। लेकिन शूटिंग से कुछ दिन पहले किशोर कुमार ने फिल्म में अपने रूप पर चर्चा के लिए एक बैठक में पूरी तरह से गंजे होकर सबको चौंका दिया था।

इसमें कहा गया है, ‘‘ हम सब चौंक गए! , किशोरदा नाचते और गाते हुए कार्यालय के चारों ओर गये, ‘अब आप क्या करेंगे, ऋषि?’ (फिल्म के निर्देशक हृषिकेश मुखर्जी)।

कुमार की सुपरहिट फिल्म के संवाद लिखने वाले गुलजार ने लिखा, ‘‘इसके बाद राजेश खन्ना को बहुत ही कम समय में भूमिका के लिए तैयार किया गया। शायद किशोरदा कभी भी इस किरदार को निभाना नहीं चाहते थे।’’

इस फिल्म ने कई पुरस्कार जीते, जिसमें 1972 में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का फिल्मफेयर पुरस्कार भी शामिल है।

प्रकाशन समूह पेंगुइन रेंडम हाउस इंडिया द्वारा प्रकाशित संस्मरण में गुलजार ने लिखा, ‘‘किशोर कुमार की इन शरारतों का शिकार सिर्फ निर्देशक ही नहीं कई निर्माता भी थे। वास्तव में, किशोर कुमार की पसंदीदा चीजों में से एक थी ‘‘अपने निर्माताओं को संकट में डालना।’’

उन्होंने लिखा कि एक बार एक निर्माता गायक-अभिनेता के घर पर मिलने गये लेकिन किशोर कुमार उनसे बात करने के मूड में नहीं थे। उन्होंने ‘‘बस अपनी अलमारी खोली, अंदर कदम रखा और गायब हो गए।’’

एक अन्य घटना बताते हुए उन्होंने लिखा कि किशोर कुमार ने चाय की मांग के लिए ‘‘भरोसा’’ नामक एक फिल्म के गाने की रिकॉर्डिंग रोक दी। और काफी इंतजार के बाद, जब चाय आखिरकार आ गई तो वह बिना एक घूंट लिए रिकॉर्डिंग करने के लिए आगे बढ़ गये।

गुलजार ने स्पष्ट किया कि गायक के लिए चाय महत्वपूर्ण नहीं थी। सारा नाटक ‘‘निर्माता के पैसे खर्च कराने और सभी संगीतकारों और कर्मचारियों के लिए चाय मंगवाने’’ के लिए किया गया था।

महान गायक को अपना ‘‘दोस्त’’ बताते हुए 87 वर्षीय लेखक ने स्वीकार किया कि किशोर कुमार ऐसे व्यक्ति थे जिनके साथ आप ‘‘बहुत लंबे समय तक नाराज या परेशान’’ नहीं रह सकते थे।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Getty Images

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