जुबैर की जमानत याचिका पर 14 जुलाई को सुनवाई करेगी दिल्ली की एक अदालत

नयी दिल्ली, दिल्ली की एक अदालत मंगलवार को ‘ऑल्ट न्यूज’ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की जमानत याचिका पर 14 जुलाई को सुनवाई करने पर सहमत हुई।

मामला जुबैर के 2018 में किए एक ‘‘आपत्तिजनक ट्वीट’’ से जुड़ा है, उन पर आरोप है कि अपनी पोस्ट के जरिए उन्होंने एक हिंदू देवता का अपमान किया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेंद्र कुमार जांगला ने मामले की सुनवाई को बृहस्पतिवार तक के लिए स्थगित कर दिया। अभियोजन पक्ष ने मामले में विस्तृत जिरह के लिए समय मांगा था।

वीडियो लिंक के जरिए सुनवाई में शामिल हुए विशेष लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने अदालत से मामले को स्थगित करने का अनुरोध करते हुए कहा कि जुबैर के खिलाफ दायर अन्य मुकदमों पर मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई होनी है।

इसके बाद, जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने अदालत से मामले पर बुधवार को सुनवाई करने का अनुरोध किया।

इस पर विशेष लोक अभियोजक ने कहा कि वह भोपाल में हैं और बुधवार को सुनवाई के लिए पेश नहीं हो पाएंगे।

ग्रोवर ने दलील दी कि श्रीवास्तव अगर उपलब्ध नहीं हैं, तो मामले को किसी और अभियोजक को सौंपा जाए। उन्होंने कहा, ‘‘ वह वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई में शामिल हो सकते हैं। जमानत याचिका दाखिल की गई है। यह किसी की स्वतंत्रता का सवाल है। मामले पर कल सुनवाई हो। वह वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये पेश हो सकते हैं।’’

श्रीवास्तव ने फिर कहा कि मामले को 14 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए, जिसकी न्यायाधीश ने अनुमति दे दी।

सुनवाई के दौरान, बचाव पक्ष की वकील ने पुलिस के इस तर्क का विरोध किया कि जुबैर द्वारा पोस्ट किया गया ट्वीट ‘‘अत्यधिक उत्तेजक और लोगों के बीच घृणा की भावना को भड़काने वाला था, जो सार्वजनिक शांति बनाए रखने के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।’’

उन्होंने कहा कि जिस तस्वीर का ट्वीट में इस्तेमाल किया गया था कि वह ऋषिकेश मुखर्जी की 1983 में रिलीज हुई फिल्म ‘किसी से ना कहना’ की थी।

ग्रोवर ने कहा, ‘‘ तीन दशक तक किसी को कोई आपत्ति नहीं थी। कई अन्य लोगों ने भी इसे ट्वीट किया…2018 से किसी की भावनाएं आहत नहीं हुईं। इतना उत्तेजक क्या है जिससे अशांति फैल सकती है? आज तक किसी को इन्हें हटाने के लिए नहीं कहा गया। सौभाग्य से, समाज में किसी भी तरह का तनाव भी उत्पन्न नहीं हुआ।’’

उन्होंने अदालत से उस फिल्म का वीडियो चलाने की अनुमति भी मांगी। हालांकि, न्यायाधीश ने कहा कि वीडियो बाद में चलाया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ (शिकायतकर्ता ने) 2021 में अपना ट्विटर खाता बनाया था। उनका केवल एक ‘फॉलोअर’ है। वह ‘एल्गोरिदम’ की वजह से इस ट्वीट तक नहीं पहुंच सकते। दिल्ली पुलिस को इसका पता है। सोशल मीडिया की जांच करते समय निश्वित तौर पर उन्हें तस्वीर तथा शब्दों के साथ अन्य ट्वीट भी दिखे होंगे। वास्तव में दुर्भावना बेहद स्पष्ट है।’’

गौरतलब है कि मजिस्ट्रेटी अदालत ने दो जुलाई को जुबैर की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। अदालत ने जुबैर के खिलाफ आरोपों की प्रकृति और गंभीरता का हवाला दिया था और कहा था कि मामला जांच के शुरुआती स्तर पर है।

अदालत ने जुबैर से हिरासत में पांच दिन की पूछताछ के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा था।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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