डब्ल्यूएचओ: घाना में मारबर्ग वायरस के दो संदिग्ध मामले सामने आए

जिनेवा, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि घाना में इबोला जैसे मारबर्ग वायरस से संक्रमण के दो संभावित मामले सामने आए हैं। अगर इनकी पुष्टि हो जाती है तो यह पश्चिम अफ्रीकी देश में इस तरह के संक्रमण का पहला मामला होगा।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह बीमारी, इबोला के समान एक बेहद संक्रामक रक्तस्रावी बुखार है, जो चमगादड़ों की एक प्रजाति द्वारा लोगों में फैलती है। संक्रमित लोगों के शारीरिक द्रवों व सतहों के संपर्क में आने से इसका प्रसार होता है।

मारबर्ग संभावित रूप से बेहद हानिकारक और घातक है: पिछले प्रकोपों ​को देखें तो मृत्यु दर 24 प्रतिशत से 88 प्रतिशत तक थी।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि घाना के दक्षिणी अशांती क्षेत्र से लिए गए दो मरीजों के शुरुआती विश्लेषण में संक्रमण पाया गया था। दोनों मरीजों की मौत हो चुकी है। हालांकि, नमूनों को पूरी तरह से पुष्टि के लिये सेनेगल के डकार में पाश्चर संस्थान भेजा गया है, जो संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी के साथ काम करता है।

डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में कहा कि दोनों मरीजों को अतिसार, बुखार, बेचैनी और उल्टी के लक्षणों के बाद स्थानीय अस्पताल ले जाया गया था।

वैश्विक निकाय ने कहा, “आगे की जांच जारी है लेकिन संभावित प्रकोप को लेकर प्रतिक्रिया की तैयारी तेजी से की जा रही है।” घाना में स्वास्थ्य अधिकारियों की मदद के लिये विशेषज्ञों की तैनाती की जा रही है।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अगर मारबर्ग के रूप में पुष्टि की होती है, तो यह दूसरा मामला होगा, जब पश्चिम अफ्रीका में यह संक्रमण सामने आएगा। इससे पहले गिनी में अगस्त में एक मामला सामने आया था, जिसके पांच हफ्तों बाद इसके प्रसार की घोषणा की गई थी।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इससे पहले अंगोला, कांगो, केन्या, दक्षिण अफ्रीका और युगांडा में भी मारबर्ग के मामले सामने आ चुके हैं।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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