दक्षिण अफ्रीका में गांधी की विरासत को पुनर्जीवित करने का आह्वान

जोहानिसबर्ग, गांधीवादी विद्वानों ने दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी से जुड़े कई स्थानों की खराब स्थिति पर निराशा व्यक्त की है और दक्षिण अफ्रीका तथा भारत की सरकारों से देश में भारतीय नेता की विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए साथ आने को कहा है। इन विद्वानों ने एक ऑनलाइन सम्मेलन में यह भी कहा कि गांधी के संदेश को फैलाने के लिए दुनिया भर के सभी गांधीवादी संगठनों को एकजुट होने की जरूरत है।

             पिछले सप्ताह पीटरमैरिट्जबर्ग में आयोजित गांधी-किंग-मंडेला अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के बाद दिल्ली स्थित गांधी किंग फाउंडेशन की पहली ऑनलाइन बैठक में अमेरिका के एक बड़े प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले डॉ. श्रीराम सूटी ने कहा, “इस तरह हम ताकत हासिल कर सकते हैं।” समूह कई वर्षों से ऑनलाइन साप्ताहिक बैठक करता रहा है।  सूटी ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि जोहानिसबर्ग में टॉल्स्टॉय फार्म की देखरेख कर रहे लोग डरबन स्थित फीनिक्स आश्रम के साथ मिलकर काम नहीं कर रहे हैं। महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में रहने के दौरान संबंधित दोनों आश्रमों की स्थापना की थी।

             सूटी ने जिस तीसरे क्षेत्र का उल्लेख किया वह पीटरमैरिट्जबर्ग है जहां रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से बाहर फेंके जाने के बाद गांधी ने सत्याग्रह का तरीका विकसित करने की शुरुआत की थी और दमन से लड़ने के लिए दक्षिण अफ्रीका तथा भारत के लोगों का आह्वान किया था। गांधी को ट्रेन से इसलिए बाहर फेंक दिया गया था क्योंकि वह जिस डिब्बे में यात्रा कर रहे थे वह गोरे लोगों के लिए आरक्षित था। उन्होंने कहा, “इन तीन केंद्रों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। मैं पीटरमैरिट्जबर्ग में संबंधित स्थल को उस हद तक उन्नत कर सकता हूं, जिस हद तक मैं कर सकता हूं, लेकिन किसी अन्य को फीनिक्स आश्रम और टॉल्स्टॉय फार्म की सही देखभाल करनी होगी। दक्षिण अफ्रीका और भारत सरकार को एक साथ आना चाहिए।”

             सूटी ने कहा, “यह एक भूराजनीतिक मुद्दा है। एक बार जब ब्रिक्स देश (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) एक साथ आ जाएंगे तो उम्मीद है कि गांधी को वह पहचान मिलेगी जिसके वह हकदार हैं।’’कार्यक्रम में शामिल हुए अन्य विद्वानों ने सूटी के इस विचार पर सहमति व्यक्त की कि गांधीवादी परियोजनाओं में युवाओं को शामिल करने की अत्यंत आवश्यकता है। सूटी ने कहा, “युवाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए, मैंने इसे आगे ले जाने के लिहाज से एक वेबसाइट शुरू करने के सपने के साथ वैश्विक गांधी युवा मिशन बनाया। यह मेरे शेष जीवन के लिए और संभवत: अगले साल कुछ युवाओं को पीटरमैरिट्जबर्ग लाने के लिए मेरा मिशन है ।” भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले दिल्ली स्थित राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय के निदेशक अलगन अन्नामलाई ने कहा, ‘‘दक्षिण अफ्रीका और गांधी के कार्यों के बारे में हमारे मन में बहुत कल्पना थी क्योंकि हमने ‘दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह’ और वहां गांधी के अनुभवों का अध्ययन किया है। कुछ ऐसे स्थान हैं जहाँ गांधी गंभीरता से जुड़े हुए थे। ये अब ऐसे नहीं हैं जिसकी हमने कल्पना की थी।’

             अन्नामलाई ने दक्षिण अफ्रीका में गांधी की विरासत को पुनर्जीवित करने में सहायता करने के लिए समूह का आह्वान करते हुए कहा, “हमने गांधी और उनकी आत्मकथा के माध्यम से फीनिक्स आश्रम और टॉल्स्टॉय फार्म देखा है, लेकिन वास्तव में, सभी जगहों को देखना बहुत चौंकाने वाला रहा।”

             उन्होंने कहा, ‘‘गांधी की विरासत को लोगों तक ले जाने और साथ ही दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह के इतिहास को संरक्षित करने की हमारी जिम्मेदारी है। हमें और भी बहुत कुछ करना है।”

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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