धर्मांतरण पर आधारित फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने पर फैसला करें : अदालत ने केंद्र से कहा

नयी दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वह अंतरधार्मिक विवाहों के संबंध में कथित तौर पर ‘‘धर्मांतरण की दुविधा’’ पर आधारित एक फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की अर्जी पर फैसला करें।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने ‘ऑल इंडिया प्रैक्टिसिंग लॉयर्स काउंसिल’ की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार के पास याचिकाकर्ता द्वारा की गई शिकायतों पर विचार करने और आवश्यक कार्रवाई करने की शक्ति है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम संबंधित प्रतिवादी प्राधिकरण को याचिकाकर्ता की 31 अगस्त की अर्जी पर कानून, नियमों, मामले में लागू सरकारी नीति, रिकॉर्ड में उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर जल्द से जल्द और इस आरोप को ध्यान में रखते हुए फैसला लेने का निर्देश देते हैं कि यह फिल्म आठ अक्टूबर को यूट्यूब और अन्य मंचों पर रिलीज हो रही है।’’

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अभी फिल्म ‘द कन्वर्जन’ पूरी नहीं देखी है और फिल्म के ट्रेलर के आधार पर अदालत का रुख किया है।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि ट्रेलर में एक खास धर्म के खिलाफ पक्षपातपूर्ण और साम्प्रदायिक सामग्री दिखायी गयी है इसलिए फिल्म की रिलीज पर रोक लगायी जानी चाहिए।

वकील आदिल शरफुद्दीन के जरिए दायर याचिका में शिकायतकर्ता ने कहा कि अगस्त 2021 में यूट्यूब पर रिलीज फिल्म के ट्रेलर से पता चलता है कि इसमें ‘‘उत्तर प्रदेश में आगामी चुनाव के बीच साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने की संभावना है।’’

याचिका में कहा गया है, ‘‘फिल्म की पृष्ठभूमि उत्तर प्रदेश के बनारस की है। ट्रेलर के वीडियो पर सितंबर 2021 तक 7,300 टिप्पणियां आ चुकी हैं। टिप्पणियों के विश्लेषण से पता चलता है कि ट्रेलर की तारीफ की गयी है और इसमें हिंदू भावनाओं को नकारात्मक तरीके से उकसाया गया है।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘प्रतिवादी फिल्म निर्माता ने इस फिल्म को ऐसे मंच पर रिलीज करना चुना जहां उन्हें किसी सेंसरशिप की आवश्यकता नहीं है जिसके चलते फिल्म के ट्रेलर को पहले ही 31 लाख से अधिक लोग देख चुके हैं।’’

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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