नयी संसद में स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक को सारनाथ में मूल कोण से ही देखा जाना चाहिए : मूर्तिकार

औरंगाबाद, दिल्ली में नये संसद भवन की छत पर स्थापित किए गए राष्ट्रीय प्रतीक को लेकर उठे विवाद के बीच इसके मूर्तिकार सुनील देवड़े ने कहा कि मूर्ति को दूर से और उसी कोण से देखा जाना चाहिए जिस तरह से सारनाथ में मूल रूप को देखा जाता है।

विपक्षी दलों के सदस्यों और कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को सरकार पर अशोक की लाट के ‘मोहक और राजसी शान वाले’ शेरों की जगह उग्र शेरों का चित्रण कर राष्ट्रीय प्रतीक के रूप को बदलने का आरोप लगाया था। हालांकि, भाजपा ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने की एक और ‘‘साजिश’’ करार देते हुए खारिज किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को नये संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण किया था।

संसद भवन की छत पर स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक के मूर्तिकार देवड़े ने दावा किया कि उन्होंने प्रतीक के मूल संस्करण के आधार पर प्रतिकृति बनाई है और नई मूर्ति को उचित दूरी से देखा जाना चाहिए।

उन्होंने एक समाचार चैनल से कहा, ‘‘मूल ढांचा 3.5 फुट का है जबकि नयी मूर्ति की ऊंचाई सात मीटर है। सोशल मीडिया पर वायरल यह तस्वीर (संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक) भूतल कोण से ली गई है। हालांकि, अगर इसकी तस्वीर जमीन के समानांतर दिखाई देने के हिसाब से ली जाए, तो हम देख सकते हैं कि यह राष्ट्रीय प्रतीक की प्रतिकृति है।’’

देवड़े ने कहा, ‘‘मैं एक कलाकार हूं। लोग किस तरह के भाव देख रहे हैं, मैं इस बारे में नहीं बता सकता… मैंने मूल ढांचे का अध्ययन किया, इसकी छोटी प्रतिकृति बनाई और फिर बाद में बड़ी प्रतिकृति बनाई। मैंने विस्तृत अध्ययन के बाद मूर्ति बनाई। मेरा उद्देश्य किसी तरह का भाव प्रदर्शित करने का नहीं था। मैंने वही किया जो प्रामाणिक है।’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : https://twitter.com/mygovindia/status/1546383397429227526/photo/1

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