नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र से सामुदायिक रसोई योजना को लागू करने से जुड़े कुछ नीतिगत फैसले करने को कहा। साथ ही, फैसले करने के दौरान विभिन्न राज्यों में क्रियान्वित अन्य समान योजनाओं पर विचार करने को भी कहा।
शीर्ष न्यायालय ने कुछ राज्यों में भूख से हुई कथित मौत और बच्चों में कुपोषण का भी संज्ञान लिया तथा उनसे उन जिलों/तालुका/गांव की पहचान कर एक संक्षिप्त जवाब देने को कहा, जहां वे घटनाएं हुई हैं।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राज्य सरकारों/ केंद्र शासित प्रदेशों के साथ सहयोग करने की जरूरत है तथा सामुदायिक रसोई योजना को अंतिम रूप देने से पहले उनकी राय पर भी विचार किया जाएगा।
पीठ ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि जब तक राज्य सरकारें योजना को लागू करने में शामिल नहीं होंगी, उसका क्रियान्वयन करना कठिन होगा।’’
न्यायालय ने कहा, ‘‘परिस्थितियों के तहत, यह उपयुक्त होगा कि भारत सरकार सामुदायिक रसोई योजना के क्रियान्वयन के सिलसिले में कुछ नीतिगत फैसले करे और इनमें सामुदायिक रसोई से जुड़ी अन्य समान योजनाओं पर विचार किया जाए, जो पहले से विभिन्न राज्यों में क्रियान्वित हैं।’’
शीर्ष न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर दिल्ली सरकार और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की ओर से पेश अधिवक्ता को अपना जवाबी हलफनामा आज से दो हफ्तों के अंदर दाखिल करने को कहा।
याचिका के जरिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) को भूख से जुड़ी मौतें कम करने के लिए एक योजना बनाने का आदेश जारी करने का भी अनुरोध किया गया है।
याचिका में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, झारखंड और दिल्ली में संचालित हो रही सरकार से वित्त पोषित सामुदायिक रसोई का जिक्र किया गया है जो स्वच्छ परिस्थितियों में सब्सिडी वाली दर पर भोजन उपलब्ध कराती है।
क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
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