‘पाक में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न दूर करने के लिए ब्रिटिश सहायता बेहतर रूप से लक्षित करने की जरूरत’

लंदन, ब्रिटेन की एक संसदीय समिति ने शुक्रवार को एक समीक्षा में कहा कि पाकिस्तान के विवादास्पद ईशनिंदा कानूनों और आतंकवादी गतिविधियों का मुस्लिम-बहुल देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है तथा मुद्दों के समाधान के लिए ब्रिटिश सहायता को बेहतर रूप से लक्षित करने की आवश्यकता है।

हाउस ऑफ कॉमन्स इंटरनेशनल डेवलपमेंट कमेटी ने कहा कि उसने ‘पाकिस्तान को ब्रिटेन की सहायता’ रिपोर्ट ब्रिटेन के समग्र सहायता बजट में कटौती के संदर्भ में जारी की है।

समिति ने कहा कि इसलिए ब्रिटेन सरकार को पाकिस्तान में महिलाओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों सहित वंचित तबकों की मदद करने के संदर्भ में अपने खर्च पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

रिपोर्ट में कहा गया है, “2020 में ईशनिंदा के आरोपों में वृद्धि हुई और कम से कम 199 लोगों पर आरोप लगाया गया।”

इसमें कहा गया है, “शिया मुसलमानों, अहमदी मुसलमानों, ईसाइयों और हिंदुओं को इन कानूनों के दुरुपयोग के विशेष लक्ष्य के रूप में चिह्नित गया है। 2020 में लगाए गए 199 मामलों में से सत्तर प्रतिशत शिया मुसलमानों , 20 प्रतिशत अहमदी मुसलमानों, 3.5 प्रतिशत ईसाइयों और एक प्रतिशत हिंदुओं के खिलाफ थे, जो धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यकों पर इन कानूनों के प्रतिकूल प्रभाव को दर्शाता है।”

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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