गौरतलब है कि चुनाव के बाद की हिंसा के दौरान कथित मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर एनएचआरसी द्वारा गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में तृणमूल कांग्रेस सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि राज्य में “कानून के शासन” के बजाय “शासक के कानून” का बोलबाला है।
बनर्जी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, “एनएचआरसी का एक सदस्य भाजपा का व्यक्ति निकला है। वह अतीत में एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) के एक बड़े पदाधिकारी थे। मुझे लगता है कि उन्होंने केवल भाजपा के पक्ष को लिया और रिपोर्ट में अपना विचार डाला।” उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाएं हुई थीं, लेकिन उस समय कानून-व्यवस्था पर चुनाव आयोग का नियंत्रण था।
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