नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार को किसी भी भूमि को संरक्षित वन घोषित करने का अधिकार है, यदि राज्य के पास ऐसी भूमि का मालिकाना हक है।
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि वन कानून की धारा चार के तहत राज्य सरकार किसी भी भूमि को आरक्षित वन के संबंध में घोषणा कर सकती है।
पीठ ने एक पट्टेदार को जमीन का मालिकाना हक दिए जाने के आदेश को खारिज करते हुए कहा, “राज्य सरकार को संरक्षित वन घोषित करने का अधिकार है, यदि भूमि सरकारी संपत्ति है…।’’
उच्चतम न्यायालय उत्तर प्रदेश वन विभाग द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रहा था जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती दी गयी है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उप निदेशक चकबंदी, लखनऊ द्वारा पारित एक आदेश को खारिज कर दिया था।
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