मुगल उद्यानों का ‘डिजाइन’ ताल, फव्वारों के साथ जन्नत के नजारे पर आधारित

नयी दिल्ली, फूलों की खुशबू के बीच शानदार ज्यामितीय आकार, ताल और आकर्षक फव्वारे हर मुगल उद्यान के डिजाइन की खासियत हैं, जो ईरानी चारबाग शैली से लिया गया है तथा यह जन्नत के नजारे को चित्रित करने की कोशिश है। विशेषज्ञों का यह मानना है।

             चारबाग शैली, ईरानी वास्तुकला पर आधारित है। इसमें जल धाराओं और ताल की मौजूदगी इसे विशिष्ट बनाती है। यह चार बराबर भागों में विभाजित होता है तथा फव्वारे और झरने इसे भव्यता प्रदान करते हैं।

             इतिहासकारों के अनुसार, भारतीय उपमहाद्वीप में कई शहरों में शानदार उद्यान बनाए गए थे एवं उनके डिजाइन को शायद मुगल काल के दौरान और निखारा गया तथा नामकरण किया गया।

             ऐसे कुछ प्रसिद्ध उद्यानों में कश्मीर का मुगल उद्यान, दिल्ली में हुमायूँ मकबरे का उद्यान, आगरा में ताजमहल का उद्यान और लाहौर (पाकिस्तान) का शालीमार उद्यान शामिल हैं, जिनमें से अंतिम तीन यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल हैं।

             हरियाणा में सदियों पुराने यादविंद्रा उद्यान या पिंजौर उद्यान मुगल उद्यानों की शैली में है।

             यूनेस्को की वेबसाइट के अनुसार, कश्मीर के प्रसिद्ध मुगल गार्डन- निशात बाग, शालीमार बाग, अचबल बाग, चश्मा शाही, परी महल और वेरीनाग- संयुक्त रूप से यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों की अंतरिम सूची में शामिल हैं। इन्हें इस सूची में 2010 में जोड़ा गया था।

             इतिहासकार और लेखिका स्वप्ना लिडल ने कहा, “मुगल उद्यान ईरानी चारबाग शैली पर आधारित होता है, जिसमें दो अक्षों में बहने वाली जल धाराएं होती हैं जो एक-दूसरे को पार करती हैं और बाग को चार बराबर भागों में विभाजित करती हैं। यह ‘जन्नत’ के नजारे को चित्रित करता है।”

             विशेषज्ञों के अनुसार, मुगलों ने इन उद्यानों को परिष्कृत किया तथा भारतीय उपमहाद्वीप में अपने शासन के दौरान उनमें से कई का निर्माण किया, और इसलिए उन्हें लोकप्रिय रूप से मुगल उद्यान कहा जाने लगा।

             समय के साथ, आधुनिक काल में कई उद्यानों का निर्माण किया गया, जो मुगल उद्यान शैली पर आधारित हैं। ऐसा ही उद्यान राष्ट्रपति भवन के पश्चिमी हिस्से में भी है, जिसे सर एडविन लुटियंस द्वारा डिजाइन किया गया था, जिसे बाद में ‘मुगल गार्डन’ के रूप में जाना जाने लगा। इसका नाम बदलकर हाल में ‘अमृत उद्यान’ कर दिया गया।

             कई इतिहासकार और बागवानी विशेषज्ञ मुगल शासकों को इस तरह के शानदार विशाल उद्यानों के निर्माण का श्रेय देते हैं।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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