स्वच्छ गंगा निधि कोष में छह वर्षो में 453 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त हुई

नयी दिल्ली, गंगा नदी की निर्मलता एवं अविरलता में जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिये गठित स्वच्छ गंगा निधि कोष में पिछले छह वर्षों में 453 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त हुई है ।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने ‘भाषा’ को बताया, ‘‘ मार्च 2021 तक स्वच्छ गंगा निधि में 453 करोड़ रुपये की धनराशि जमा की गई है और इसके माध्यम से कई प्रमुख परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं।’’ एनएमसीजी से प्राप्त जानकारी के अनुसार, स्वच्छ गंगा निधि के तहत संचालित परियोजनाओं में उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड द्वारा केदारनाथ के पास गौरीकुंड का विकास, 5 नालों का सफाई कार्य, घाटों और श्मशानों का पुनर्निर्माण, हरिद्वार में हर की पौड़ी परिसर का निर्माण और विभिन्न क्षेत्रों में वनरोपण शामिल हैं।

स्वच्छ गंगा निधि में वर्ष 2020-2021 में करीब 14.18 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। इसमें पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड ने 1.5 करोड़ रुपये का योगदान किया है । पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ने भी 1 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान किया है। एएआई कार्गो लॉजिस्टिक्स ने 1.45 करोड़ रुपये का योगदान दिया है। श्री धर्मस्थल मंजुनाथेश्वर धर्मोत्थान ट्रस्ट, कर्नाटक ने 15 लाख रुपये का योगदान दिया है।

गौरतलब है कि स्वच्छ गंगा निधि कोष का गठन साल 2015 में किया गया था ।

राजीव रंजन मिश्रा ने बताया कि हाल ही में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की 34वीं कार्यकारी समिति की बैठक हुई। बैठक में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत परियोजनाओं की समीक्षा की गई और आगे के कार्यों की रूपरेखा पर चर्चा हुई ।

उन्होंने बताया कि इसके तहत खास तौर पर अयोध्या में पौराणिक महत्व के पांच तालाबों एवं जल कुंडों के पुनरोद्धार की योजना, अयोध्या लोक कला परियोजना, जलमल निकासी की व्यवस्था का खाका तैयार किया गया ।

एनएमसीजी के महानिदेशक ने बताया ‘‘ अयोध्या में छोटे बड़े 100 से अधिक तालाब हैं । जल धारा परियोजना के तहत अयोध्या में 5 मुख्य तालाबों की पहचान की गई है जिनका पुनरोद्धार एवं विकास किया जायेगा । ’’ उन्होंने बताया कि इस परियोजना की लागत 9.25 करोड़ रूपये (सवा नौ करोड़ रूपये) है। चुने गए पांच तालाब लाल डिग्गी, फतेहगंज, स्वामी रामजी दास आश्रम तालाब, सीता राम मंडी कुंड और ब्रह्म कुंड हैं । आने वाले समय में अयोध्या में पर्यटकों की भीड़ बढने के मद्देनजर राम की पैड़ी का विस्तार किया जा रहा है ।

उन्होंने बताया कि अयोध्या में जल निकायों में बहने वाले अपशिष्ट एवं गंदे जल का शुद्धिकरण तथा जलमल शोधन संयंत्र की स्थापना को अंतिम रूप दिया गया ।

एनएमसीजी के महानिदेशक ने बताया कि अयोध्या में 12 एमएलडी क्षमता का जलमल शोधन संयंत्र पहले से ही है और 33 एमएलडी क्षमता के एक और एसटीपी का निर्माण किया जायेगा ।

मिश्रा ने बताया कि इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट आईआईटी रूड़की के सहयोग से तैयार की गयी है । इन परियोजनाओं की कुल लागत 221.66 करोड़ रुपये आयेगी ।

अयोध्या में सरयू नदी में कई नाले गिरते हैं । ऐसे में जल शक्ति मंत्रालय ने पुराने फैजाबाद सहित अयोध्या में जलमल निकासी की व्यवस्था को दुरूस्त बनाने, जलमल शोधन संयंत्र स्थापित करने, पम्पिंग स्टेशन स्थापित करने सहित स्वच्छता, सौदर्यीकरण एवं जल संरक्षण का खाका तैयार किया है ।

एनएमसीजी ने अयोध्या लोक कला परियोजना’ पर भी काम करने का फैसला किया है ।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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