अडाणी मामले में मॉरीशस की फर्मों की पड़ताल सेबी ने क्यों नहीं कीः राजन

नयी दिल्ली, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अडाणी समूह से जुड़े मामले में बाजार नियामक सेबी पर अभी तक मॉरीशस स्थित संदिग्ध फर्मों के स्वामित्व के बारे में कोई पड़ताल नहीं करने पर सवाल खड़े किए हैं।

राजन के मुताबिक, मॉरीशस स्थित इन चार फंडों के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपने 6.9 अरब डालर कोष का करीब 90 प्रतिशत अडानी समूह के शेयरों में ही लगाया हुआ है। इस मामले में कोई जांच नहीं किए जाने पर उन्होंने सवाल किया कि क्या सेबी को इसके लिए भी जांच एजेंसियों की मदद की जरूरत है?

मॉरीशस स्थित एलारा इंडिया अपॉर्चुनिटी फंड, क्रेस्टा फंड, एल्बुला इनवेस्टमेंट फंड और एपीमएस इनवेस्टमेंट फंड फर्जी कंपनी होने के आरोप लगने के बाद पिछले दो साल से संदेह के घेरे में हैं। ये कंपनियां गत जनवरी में दोबारा चर्चा में आ गईं जब अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया कि अडाणी समूह ने अपने शेयरों की कीमत बढ़ाने के लिए फर्जी कंपनियों का सहारा लिया। हालांकि अडाणी समूह ने इन आरोपों को बार-बार खारिज किया है।

राजन ने पीटीआई-भाषा के साथ ईमेल साक्षात्कार के दौरान भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के रुख पर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा, “मुद्दा सरकार और कारोबार जगत के बीच गैर-पारदर्शी संबंधों को कम करने का है, और वास्तव में नियामकों को अपना काम करने देने का है। सेबी अभी तक मॉरीशस के उन कोषों के स्वामित्व तक क्यों नहीं पहुंच पाई है, जो अडाणी के शेयरों में कारोबार कर रहे हैं? क्या उसे इसके लिए जांच एजेंसियों की मदद की जरूरत है?”

इन निवेश कोष के मॉरीशस में पंजीकृत होने से उनकी स्वामित्व संरचना पारदर्शी नहीं है। मॉरीशस उन देशों में शामिल है जहां पर व्यवसाय कर नहीं लगता है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई है। इस दौरान इन कंपनियों का बाजार पूंजीकरण आधा हो चुका है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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