इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास, परीक्षण के लिए सख्त प्रोटोकॉल का पालन जरूरी: उद्योग दिग्गज

नयी दिल्ली, इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास और परीक्षण के लिए सख्त प्रोटोकॉल का पालन करना जरूरी है। वाहन उद्योग के दिग्गजों ने इसके साथ ही कहा कि वाहनों में आग लगने की घटनाओं से बचने के लिए कंपनियों को बाजार में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।

महिंद्रा एंड महिंद्रा (एमएंडएम) के पूर्व प्रबंध निदेशक पवन गोयनका ने कहा, ‘‘इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) अभी विकसित हो रहे हैं। विनिर्माता सीखने की प्रक्रिया में हैं और यहां तक ​​​​कि परीक्षण एजेंसियों को भी अभी यह पता लगाना है कि कौन से परीक्षण किए जाएं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इलेक्ट्रिक वाहन में आग नहीं लगेगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘करीब 15-20 साल पहले आंतरिक दहन इंजन कारों के साथ भी इस तरह की घटनाएं देखी गईं थीं, क्योंकि उस समय हमें पता नहीं था कि क्या करने की जरूरत है।’’

गोयनका इस वक्त भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के चेयरमैन हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ईवी विकसित हो रहे हैं और इसलिए कुछ घटनाएं (आग लगने की) तय हैं। मैं यह नहीं कहूंगा कि विनिर्माता इसे हल्के में ले रहे हैं।’’

उन्होंने स्वीकार किया कि आग की घटनाओं से पूरे ईवी उद्योग की बदनामी हो सकती है।

गोयनका ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि डिजाइन को लेकर कोई विनिर्माता लापरवाह है। बात सिर्फ इतनी है कि हमारे पास अभी पर्याप्त जानकारी नहीं है। हम सीखने की प्रक्रिया में हैं और बहुत तेजी से परिपक्व हो रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि सरकार भी बहुत सख्ती से जांच कर रही है, हालांकि परीक्षण एजेंसियों को भी नहीं पता है कि यह सुनिश्चित करने के लिए क्या करना चाहिए कि किसी इलेक्ट्रिक वाहन में आग नहीं लगेगी।

वाहन कलपुर्जा विनिर्माता संघ (एसीएमए) के अध्यक्ष संजय कपूर ने कहा कि ईवी की विकास प्रक्रिया को समझने की जरूरत है, क्योंकि कई कंपनियों को इस क्षेत्र में पहले से कोई अनुभव नहीं है।

उन्होंने कहा कि ईवी क्षेत्र में कई विनिर्माता ऐसे हैं, जिन्होंने अतीत में वाहनों का विनिर्माण नहीं किया है। कपूर ने कहा कि आंतरिक दहन इंजन वाले वाहनों में भी आग लगने की घटनाएं होती हैं, लेकिन ईवी की चर्चा ज्यादा होती है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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