ईरान ने एक और प्रदर्शनकारी को फांसी दी, सरेआम क्रेन से लटकाया

दुबई, ईरान ने विरोध-प्रदर्शनों के दौरान कथित अपराधों के लिए हिरासत में लिए गए एक और कैदी को सोमवार को फांसी दे दी। अन्य लोगों को कड़ी चेतावनी देते हुए कैदी को सरेआम क्रेन से लटका दिया गया।

ईरान सरकार द्वारा देश में व्यापक स्तर पर जारी प्रदर्शनों के बीच हिरासत में लिए गए किसी कैदी को फांसी दिए जाने का यह दूसरा मामला है।

ईरान की समाचार एजेंसी ‘मिज़ान’ के अनुसार, मजीद रज़ा रहनवार्द को फांसी दी गई। उसे मशहद (शिया शहर) में 17 नवंबर को सुरक्षा बल के दो जवानों की चाकू मारकर हत्या करने का दोषी ठहराया गया था।

मजीद को एक महीने के भीतर ही मृत्युदंड दिया जाना ईरान द्वारा प्रदर्शनकारियों को फांसी दिए जाने की कार्रवाई में लाई गई तेजी को दर्शाता है।

कार्यकर्ताओं ने आगाह किया कि प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए अब तक करीब 12 लोगों को बंद कमरे की सुनवाई में मौत की सजा सुनाई जा चुकी है।

प्रदर्शनों पर नजर रख रहे ईरान के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार, सितंबर के मध्य में प्रदर्शनों के शुरू होने के बाद से अभी तक कम से कम 488 लोग मारे गए हैं। वहीं अन्य 18,200 लोगों को अधिकारियों ने हिरासत में लिया है।

समाचार एजेंसी ‘मिज़ान’ द्वारा जारी तस्वीरों में मजीद रज़ा रहनवार्द को क्रेन से लटकता दिखाया गया, उसके हाथ-पैर बंधे हुए थे और सिर पर काला थैला था।

सरकारी टेलीविजन पर प्रसारित वीडियो में एक व्यक्ति, एक अन्य व्यक्ति का पीछा करता, फिर उसके नीचे गिर जाने पर उसे चाकू मारता दिख रहा है। इसके बाद हमलावर मौके से भागता भी नजर आया।

‘मिज़ान’ की खबर में मृतक की पहचान ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड के एक अर्धसैनिक स्वयंसेवक तथा ‘‘छात्र’’ बासीज़ के तौर पर की है। बासीज़ को प्रमुख शहरों में प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने के लिए तैनात किया गया था। मजीद रज़ा रहनवार्द ने हमले करने के लिए कोई मकसद नहीं बताया।

खबर में दावा किया गया कि रहनवार्द को जब गिरफ्तार किया गया, तब वह विदेश भागने की तैयारी में था।

‘मिज़ान’ के अनुसार, रहनवार्द को मशहद के ‘रिवोल्यूशनरी कोर्ट’ ने दोषी ठहराया था। इस फैसले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना की गई है क्योंकि वहां जिन लोगों पर मुकदमे चलाए जा रहे हैं उन्हें अपने लिए वकील चुनने नहीं दिया जा रहा। यहां तक कि उन्हें उनके खिलाफ मौजूद सबूत देखने की अनुमति भी नहीं है।

ईरान ने इससे पहले गत बृहस्पतिवार को देशव्यापी विरोध-प्रदर्शनों के दौरान कथित रूप से किए गए अपराध को लेकर एक कैदी को फांसी दी थी। ईरान द्वारा दिए गए इस तरह के मृत्युदंड का यह पहला मामला था।

ईरान में नैतिकता के आधार पर कार्रवाई करने वाली पुलिस के खिलाफ एक आक्रोश के रूप में शुरू हुआ यह प्रदर्शन 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से देश के ‘‘धर्मतंत्र’’ के लिए सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक बन गया है।

ईरान में 22 वर्षीय महसा अमीनी की ‘‘लोकाचार पुलिस’’ की हिरासत में मौत के बाद 16 सितंबर से देशभर में व्यापक विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए थे।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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