उच्चतम न्यायालय ने अनिल देशमुख की जमानत के खिलाफ सीबीआई की अपील खारिज की

नयी दिल्ली, महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को बड़ी राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने भ्रष्टाचार के एक मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता को जमानत देने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआई की अपील सोमवार को खारिज कर दी।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने उल्लेख किया कि देशमुख (73) को संबंधित धनशोधन मामले में भी जमानत दी गई है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह उच्च न्यायालय द्वारा देशमुख को जमानत दिए जाने के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने को इच्छुक नहीं है। पीठ ने कहा, ‘‘चूंकि उच्च न्यायालय के आदेश में टिप्पणियां इस सवाल तक ही सीमित हैं कि क्या प्रतिवादी जमानत पाने का हकदार था। हम स्पष्ट करते हैं कि इन टिप्पणियों को केवल उस उद्देश्य के लिए ही माना जाएगा।’’

मामले में सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पिछले साल दिसंबर में भ्रष्टाचार के मामले में देशमुख को जमानत देने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।

उच्च न्यायालय ने 12 दिसंबर को राकांपा नेता को जमानत दे दी थी, लेकिन कहा था कि यह आदेश 10 दिन के बाद प्रभावी होगा, क्योंकि सीबीआई ने इसे शीर्ष अदालत में चुनौती देने के लिए समय मांगा था।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे के बयान को छोड़कर, सीबीआई द्वारा रिकॉर्ड पर रखे गए किसी भी बयान से संकेत नहीं मिलता कि देशमुख के इशारे पर मुंबई में बार मालिकों से पैसा वसूला गया था।

शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में जांच एजेंसी ने दावा किया कि उच्च न्यायालय ने देशमुख को जमानत देने में ‘‘गंभीर त्रुटि’’ की। जांच एजेंसी ने कहा कि उसकी आपत्तियों को नजरअंदाज कर दी गई जमानत से जारी जांच प्रभावित होगी।

अंतरिम राहत के रूप में, सीबीआई ने शीर्ष अदालत में दायर याचिका की सुनवाई लंबित होने तक उच्च न्यायालय के आदेश पर एकतरफा रोक लगाने का अनुरोध किया।

धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद देशमुख नवंबर 2021 से जेल में थे। बाद में उन्हें सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया था। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने मार्च 2021 में आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृह मंत्री देशमुख ने रेस्तराओं और बार से प्रति माह 100 करोड़ रुपये एकत्र करने के लिए पुलिस अधिकारियों को लक्ष्य दिया था।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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