डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों को लागू करने से अनावश्यक सीजेरियन प्रसवों में कमी संभव : अध्ययन

नयी दिल्ली, भारत में कराये गये एक प्रायोगिक अध्ययन में पाया गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएएचओ) के दिशानिर्देशों को लागू करने से बच्चे के जन्म के दौरान महिलाओं की देखभाल में सुधार में मदद मिल सकती है तथा अनावश्यक सीजेरियन प्रसव कम हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनियाभर में पांच प्रसव में एक सीजेरियन होता है और आने वाले दशक में यह कुल प्रसव का एक तिहाई हो जाएगा।

            उसने कहा कि जब चिकित्सा वजहों से सीजेरियन किया जाता है, तो वह जीवनरक्षक हो सकता है और यह उत्तम चिकित्सा देखभाल का अनिवार्य हिस्सा होता है, लेकिन इसमें कुछ जोखिम भी होते हैं।यह नवीनतम अध्ययन पत्रिका ‘नेचर मेडिसिन’ में प्रकाशित हुआ है। यह अध्ययन डब्ल्यूएचओ के प्रसव देखभाल (एलसीजी) दिशानिर्देश का यादृच्छिक परीक्षण है।

            अध्ययन दल ने नियमित देखभाल की तुलना में नवीन एलसीजी रणनीति के क्रियान्वयन का मूल्यांकन करने के लिए भारत में चार अस्पतालों में प्रायोगिक परीक्षण किया। इस दल में कर्नाटक के जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय के अनुसंधानकर्ता शामिल थे।

            इस अध्ययन के लेखक और आस्ट्रेलिया के बर्नट इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर जोशुआ वोगेल ने कहा कि इस अध्ययन से पता चला कि व्यस्त, सीमित संसाधनों वाली व्यवस्था समेत भारतीय चिकित्सा तंत्र में नियमित क्लीनिकल देखभाल में एलसीजी को लागू करना संभव है ।

            उन्होंने कहा, ‘‘ दुनियाभर में महिलाओं द्वारा बच्चों को जन्म देने के दौरान क्लीनिकल एवं सहयोगपरक देखभाल को लेकर डब्ल्यूएचओ ने एलसीजी जारी किया। वैसे तो यह सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध प्रमाणों के साथ समन्वय के लिए विकसित किया गया है, लेकिन अबतक महिलाओं एवं शिशुओं पर उसके प्रभाव को लेकर हम दृढ़ नहीं रहे हैं।’’ वोगेल ने कहा कि एलसीजी में अनावश्यक सीजेरियन को कम करने की क्षमता है क्योंकि सीजेरियन में माताओं एवं उनके शिशुओं के लिए स्वास्थ्य जोखिम हैं।

            उन्होंने कहा, ‘‘ हाल के दशकों में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं में जन्म के दौरान अधिक ‘दखल’ का एक आम रूख रहा है और वह सीजेरियन की ऊंची दर में दिखा है । ’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब सही वक्त पर सीजेरियन का इस्तेमाल किया जाता है तो यह स्वास्थ्य परिणाम में सुधार ला सकता है, लेकिन अक्सर बिना स्पष्ट चिकित्सा जरूरत के उसका उपयोग किया जाता है। हमारे अध्ययन से सामने आया कि जब एलसीजी को अच्छी तरह लागू किया गया तो बिना किसी अतिरिक्त नुकसान के सीजेरियन की दरों में कमी आयी।’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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