न्यायालय ने लक्षद्वीप प्रशासन को मध्याह्न भोजन में मांस उत्पादों को शामिल करने का निर्देश दिया

नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केरल उच्च न्यायालय के उस आदेश को जारी रखने का निर्देश दिया, जिसमें लक्षद्वीप प्रशासन को स्कूली बच्चों को परोसे जाने वाले मध्याह्न भोजन (मिड डे मिल) में चिकन सहित मांस उत्पादों को शामिल करने के लिए कहा गया था।

शीर्ष न्यायालय स्कूली बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन की व्यंजन सूची (मेन्यू) से चिकन सहित मांस उत्पादों को हटाने और डेयरी फार्म बंद करने संबंधी लक्षद्वीप प्रशासन के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है।

न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने केरल उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दायर एक अपील पर भारत संघ, केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप और अन्य को नोटिस जारी किया, जिसमें लक्षद्वीप प्रशासन के फैसले को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया था।

न्यायालय ने कहा ‘‘ नोटिस जारी किया जाए और गर्मियों की छुट्टियों के बाद दो सप्ताह में सुनवाई शुरू होगी।’’

पीठने कहा, ‘‘इस बीच, उच्च न्यायालय द्वारा 22 जून 2021 को दिया गया अंतरिम आदेश जारी रहेगा।’’

उल्लेखनीय है कि 22 जून 2021 को उच्च न्यायालय ने लक्षद्वीप प्रशासन के दो आदेश, डेयरी को बंद करने और स्कूली बच्चों के मध्याह्न भोजन की व्यंजन सूची से चिकन सहित मांस उत्पादों को हटाने के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी।

उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने सितंबर 2021 में कवरत्ती के मूल निवासी अजमल अहमद द्वारा दायर एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि प्रफुल्ल खोड़ा पटेल द्वारा द्वीप प्रशासक के रूप में कार्यभार संभाले जाने के बाद उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता पशुपालन विभाग द्वारा चलाए जा रहे डेयरी फार्म को बंद करना और प्राचीन काल से चली आ रही द्वीपवासियों की भोजन की आदतों पर ‘हमला’ करना है।

अहमद ने पशुपालन निदेशक के 21 मई 2021 के उस आदेश को चुनौती दी जिसमें सभी डेयरी फार्म को बंद करने के निर्देश दिये गये थे। याचिकाकर्ता ने लक्षद्वीप में स्कूली बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन के मेन्यू से चिकन और अन्य मांस उत्पादों को हटाने संबंधी प्रशासन के फैसले को भी चुनौती दी है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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