महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज पर केंद्रित फिल्मों और टिप्पणियों को लेकर सियासी पारा चढ़ा

मुंबई, महाराष्ट्र में पिछले एक पखवाड़े के दौरान छत्रपति शिवाजी महाराज पर बनी फिल्मों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की उनपर विवादित टिप्पणियों को लेकर सियासी पारा चढ़ गया है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी को भी टेलीविजन पर एक चर्चा के दौरान शिवाजी महाराज का ‘अपमान’ करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा।

औरंगाबाद में गत शनिवार को आयोजित एक समारोह के दौरान कोश्यारी ने यह कहकर विवाद को जन्म दिया कि छत्रपति शिवाजी महाराज ‘पुराने जमाने’ के आदर्श थे।

कोश्यारी के इस बयान से महाराष्ट्र की राजनीति में सियासी भूचाल आ गया और विपक्षी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) और अन्य संगठनों के कार्यकर्ताओं ने इस टिप्पणी के खिलाफ विरोध जताया, जिसे 17वीं शताब्दी के मराठा राजा तथा राज्य का अपमान माना जा रहा है।

यहां तक कि सत्ताधारी भाजपा ने भी राज्यपाल की टिप्पणी को लेकर असहमति जताई है। उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘‘ एक बात स्पष्ट है कि छत्रपति शिवाजी महाराज महाराष्ट्र और देश के तब तक हीरो और आदर्श रहेंगे, जब तक कि सूरज और चांद रहेगा। यहां तक कि कोश्यारी के भी मन में इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं है। हालांकि, राज्यपाल की टिप्पणी के कई भिन्न-भिन्न मतलब निकाले गये।’’

भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि राज्यपाल को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और राकांपा प्रमुख शरद पवार की तुलना मराठा राजा शिवाजी से नहीं करनी चाहिए थी।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के धड़े के विधायक संजय गायकवाड़ ने राज्यपाल के तबादले की मांग कर दी।

कोश्यारी के बयान पर यह सियासी हंगामा 17वीं शताब्दी के शासक को एक फिल्म में कथित तौर पर गलत तरीके से दर्शाये जाने को लेकर हुए विवाद के बाद कुछ दिन बाद हुआ है।

इस महीने की शुरुआत में राकांपा नेता जितेंद्र आव्हाड ने अपने समर्थकों के साथ ठाणे स्थित एक सिनेमा घर में मराठी फिल्म ‘हर हर महादेव’ का प्रदर्शन बाधित कर दिया था। बाद में आव्हाड को फिल्म देखने आए एक व्यापारी पर कथित तौर पर हमला करने को लेकर गिरफ्तार कर लिया गया था। फिल्म का समर्थन करते हुए राज ठाकरे नीत महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) भी इस विवाद में कूद पड़ी थी।

पिछले हफ्ते राज्यसभा सदस्य और मराठा शासक के वंशज संभाजी छत्रपति ने मुख्यमंत्री शिंदे और फडणवीस से मुलाकात करके इतिहासकारों और शोधकर्ताओं की एक समिति गठित करने की मांग की थी ताकि जनता के समक्ष रखी गई बातों की सत्यता की जांच की जा सके।

फिल्मों में शिवाजी महाराज की लोकप्रियता पर बात करते हुए सिनेमा इतिहासकार एस एम एम औसजा ने कहा कि आदर्श मराठा योद्धा को मराठी फिल्मों में दशकों से दिखाया जाता रहा है।

औसजा ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ आज हम राजनीतिक रूप से आवेशित समय में रह रहे हैं। सत्ता में रहने वाला कोई भी राजनीतिक दल चाहेगा कि उसका इस बात पर नियंत्रण हो कि किस तरह की फिल्में बनाई जा रही हैं और वह पार्टी अपना एजेंडा लागू करेगी, जो उसकी विचारधारा के अनुकूल हो।’’

एक और मराठी फिल्म ‘वेदत मराठे वीर दौदाले सात’ रिलीज से पहले ही चर्चा में है और इसका निर्देशन महेश मांजरेकर कर रहे हैं और अक्षय कुमार लीड भूमिका में हैं।

इस फिल्म को लेकर भी संभाजी छत्रपति ने आगाह किया है और तथ्य से किसी तरह की छेड़छाड़ पर फिल्म को रोकने के लिए हर तरह के प्रयास करने की बात कही है।

बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार ने कहा, ‘‘ मैं इस फिल्म में छत्रपति शिवाजी महाराज की भूमिका निभा रहा हूं। मनसे नेता राज ठाकरे के कारण मुझे यह भूमिका मिली। उन्होंने मुझसे कहा, अक्षय तुम्हें यह भूमिका निभानी चाहिए।’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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