विश्व समुदाय को अफगानिस्तान पर लगाई गई पारगमन रोक हटानी चाहिए: भारत

संयुक्त राष्ट्र, भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि विश्व समुदाय को अफगानिस्तान पर थोपे गए सभी पारगमन अवरोधक हटाने के लिए काम करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि युद्ध से जर्जर यह देश द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों के तहत अपने अधिकार इस्तेमाल कर सके।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि नागराज नायडू ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अफगानिस्तान को लेकर पेश प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि अफगानिस्तान की समृद्ध भविष्य के लिए जरूरी है कि उसकी पहुंच समुद्र मार्ग तक हो।

नायडू ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान पर लगाए गए कृत्रिम पारगमन अवरोधकों को हटाने के लिए काम करना चाहिए और द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों के तहत अफगानिस्तान को मिले पारगमन अधिकार की गारंटी को सुनिश्चित करना चाहिए। हम प्रसन्न हैं कि जो प्रस्ताव हमारे समक्ष पेश किया गया है उसमें ऐसा करने की बात कही गई है।’’

उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवाद के सभी रूपों के किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनाने की जरूरत है।

नायडू ने कहा कि यह सुनिश्चित करना अहम है कि आतंकवादी समूह अफगानिस्तान का इस्तेमाल दूसरे देशों पर हमले या धमकी देने के लिए नहीं करें। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यह सुनिश्चित करना भी अहम कि सभी देश आतंकवादी समूहों को पनाहगाह और उन्हें अपनी गतिविधियां करने की इजाजत नहीं दें। उन्हें आतंकवादियों की भर्ती करने से रोकें और वित्त पोषण, सामग्री या राजनीतिक समर्थन रोकें और जो ऐसा करते हैं उन्हें जिम्मेदार ठहराए।

उल्लेखनीय है कि 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 130 से ‘ अफगानिस्तान में स्थिति’’ नाम के प्रस्ताव को स्वीकार किया। इस प्रस्ताव के विरोध में रूस ने मतदान किया जबकि बेलारूस, चीन और पाकिस्तान अनुपस्थित रहे।

भारत इस प्रस्ताव का सह प्रायोजक था।

भारत ने अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर हिंसा पर चिंता जताई और इन घटनाओं की कड़ी निंदा की।

नायडू ने कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि तालिबान और अन्य आतंकवादी समूहों की हिंसा से अफगानिस्तान की सुरक्षा और स्थिरता को उत्पन्न हो रहे खतरे का सामना किया जाए। शांति प्रक्रिया और हिंसा साथ-साथ नहीं चल सकती और हम तुंरत विस्तृत संघर्ष विराम का आह्वान करते हैं।’’

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

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