स्वतंत्रता पर जनमत-संग्रह की लड़ाई अदालत में हारा स्कॉटलैंड, सुनक ने व्यवस्था का स्वागत किया

लंदन, स्कॉटलैंड की सरकार बुधवार को लंदन स्थित उच्चतम न्यायालय में एक बड़ी लड़ाई हार गयी जब न्यायाधीशों ने व्यवस्था दी कि ब्रिटेन के साथ उसके बने रहने पर दूसरा जनमत-संग्रह ब्रिटेन की संसद की मंजूरी के बिना नहीं हो सकता।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने फैसले के तुरंत बाद संसद में कहा कि यह स्पष्ट और निश्चित व्यवस्था है। उन्होंने ब्रिटेन के सभी हिस्सों का आह्वान किया कि एक ‘सकारात्मक और सहयोगात्मक’ संघ के रूप में मिलकर काम करें।

सुनक ने हाउस ऑफ कॉमन्स में इस बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘हम ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय की स्पष्ट और निश्चित व्यवस्था का सम्मान करते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि स्कॉटलैंड की जनता चाहती है कि हम उन बड़ी चुनौतियों से निपटने की दिशा में काम करें जो सामूहिक रूप से हमारे सामने हैं। भले ही यह अर्थव्यवस्था हो, राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) हो या यूक्रेन को समर्थन करने की बात हो। अब समय आ गया है कि नेता लोग मिलकर काम करें और यह सरकार यही करेगी।’’

स्कॉटलैंड की प्रथम मंत्री (फर्स्ट मिनिस्टर) निकोला स्टर्जन ने ‘इंडीरेफ2’ नाम से अगले साल 19 अक्टूबर को जनमत-संग्रह कराने का प्रस्ताव रखा था, जो सितंबर 2014 के बाद से दूसरा ऐसा जनमत-संग्रह होता जब करीब 55 प्रतिशत लोगों ने ब्रिटेन में बने रहने के लिए मतदान किया था।

उच्चतम न्यायालय के अध्यक्ष रॉबर्ट रीड ने सर्व-सम्मति से लिये गये फैसले को पढ़ते हुए कहा, ‘‘कानूनी तरीके से कराये गये जनमत-संग्रह के संघ और ब्रिटेन की संसद के संबंध में महत्वपूर्ण राजनीतिक परिणाम होते।’’

रीड ने यह भी कहा कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों ने अंतरराष्ट्रीय कानून में ‘आत्म-निर्धारण के अधिकार’ के बारे में स्कॉटिश नेशनलिस्ट पार्टी (एसएनपी) की दलील को स्वीकार नहीं किया।

स्टर्जन ने पहले कहा था कि यदि अदालत ने उनके प्रस्तावित विधेयक के खिलाफ व्यवस्था दी तो एसएनपी अगले आम चुनाव को अनौपचारिक जनमत-संग्रह की तरह लड़ेगी।

उन्होंने कहा कि वह फैसले से निराश हैं लेकिन उसका सम्मान करेंगी। हालांकि, उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ऐसा कानून जो वेस्टमिंस्टर की सहमति के बिना स्कॉटलैंड को उसके भविष्य का फैसला करने की अनुमति नहीं देता, वह स्वैच्छिक साझेदारी के रूप में ब्रिटेन की किसी भी धारणा को मिथक के रूप में उजागर करता है और (स्वतंत्रता के लिए) मामले को मजबूत बनाता है।’’

क्षेत्र के विपक्षी दलों ने एक और जनमत-संग्रह के खिलाफ पक्ष रखा था और दावा किया था कि इस सवाल का समाधान निकाला जा चुका है।

स्वतंत्रता समर्थकों ने बुधवार को एडिनबरा में स्कॉटिश संसद के बाहर और अन्य स्थानों पर रैली की योजना बनाई है।

एडिनबरा में स्वतंत्रता-समर्थक सरकार फैसले पर पुनर्विचार चाहती है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : https://www.flickr.com/photos/number10gov/52453487910

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