उत्तराखंड में अधिवास के आधार पर महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण संबंधी कानून को अदालत में चुनौती

नैनीताल, उत्तराखंड में स्थायी तौर पर रहने वाली महिलाओं को लोक सेवाओं में 30 फीसदी आरक्षण के प्रावधान वाले कानून को मंगलवार को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई।

                 दिल्ली की रहने वाली एक महिला याचिकाकर्ता ने लोक सेवा (महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण) अधिनियम, 2022 को चुनौती दी है। वह उत्तराखंड प्रांतीय सिविल सेवा परीक्षा, 2021 में शामिल हुई थी।

                 आलिया ने दलील दी है कि उसने प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली थी, लेकिन उत्तराखंड का अधिवास नहीं होने के कारण वह अंतत: सफल नहीं हो सकी।

                 मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रवींद्र मैथानी की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई की और प्रतिवादियों को छह सप्ताह के अंदर जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।

                 अदालत ने हालांकि अधिनियम पर रोक नहीं लगाई लेकिन कहा कि चयन प्रक्रिया वर्तमान रिट याचिका पर आगे के आदेशों के अधीन होगी।

                 आलिया की दलील है कि यह कानून देश के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन करता है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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