नाटो देशों ने स्वीडन, फिनलैंड को सदस्य बनाने संबंधी प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए

ब्रसेल्स, नाटो के 30 सहयोगियों ने मंगलवार को स्वीडन और फिनलैंड को सदस्य बनाने संबंधी प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए, जिससे दोनों देशों का सदस्यता संबंधी अनुरोध विधायी मंजूरी के लिए गठबंधन की राजधानियों को भेजा गया।

तुर्की इसमें हालांकि अब भी अड़ंगा लगा सकता है। वह नाटो का सदस्य है और किसी नए देश को गठबंधन में शामिल करने के लिए सभी सदस्य देशों की मंजूरी आवश्यक होती है।

फरवरी में पड़ोसी यूक्रेन पर आक्रमण और उसके बाद से सैन्य संघर्ष के मद्देनजर इस कदम ने रूस को रणनीतिक तौर पर अलग-थलग किए जाने के प्रयासों को और बढ़ाने का काम किया है।

नाटो के महासचिव जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने कहा, ‘‘यह फिनलैंड, स्वीडन और नाटो के लिए सचमुच एक ऐतिहासिक क्षण है।’’

तीस राजदूतों और स्थायी प्रतिनिधियों ने औपचारिक रूप से पिछले सप्ताह के नाटो शिखर सम्मेलन के निर्णयों को तब मंजूरी दे दी जब गठबंधन ने रूस के पड़ोसी फिनलैंड और स्वीडन को सैन्य क्लब में शामिल होने के लिए आमंत्रित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया।

गठबंधन में समझौते के बावजूद, सदस्य देश तुर्की नाटो में स्वीडन और फिनलैंड को अंतिम रूप से शामिल किए जाने को लेकर अभी भी समस्याएं पैदा कर सकता है। हालांकि वह मैड्रिड में हुए शिखर सम्मेलन में संबंधित दोनों देशों के साथ एक समझौता ज्ञापन पर पहुंचा था।

पिछले हफ्ते, तुर्की के नेता रजब तैयब एर्दोआन ने चेतावनी दी थी यदि दोनों देश अवैध कुर्द समूहों या 2016 में असफल तख्तापलट के आरोपी निर्वासित मौलवी के नेटवर्क से जुड़े संदिग्ध आतंकवादियों के प्रत्यर्पण की तुर्की की मांग को पूरी तरह से पूरा करने में विफल रहते हैं तो अंकारा अभी भी प्रक्रिया को अवरुद्ध कर सकता है।

उन्होंने कहा था कि तुर्की की संसद समझौते का अनुमोदन करने से इनकार कर सकती है।

स्वीडन और फिनलैंड के लिए यह एक बाधा हो सकती है क्योंकि नाटो में उन्हें शामिल करने की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए सभी 30 सदस्य देशों के औपचारिक अनुमोदन की आवश्यकता होगी।

स्वीडन और फ़िनलैंड के विदेश मंत्रियों से एक संवाददाता सम्मेलन में पूछा गया कि क्या समझौता ज्ञापन में उन लोगों के नाम हैं जो तुर्की को प्रत्यर्पित करने होंगे, इस पर दोनों मंत्रियों ने कहा कि ऐसी कोई सूची समझौते का हिस्सा नहीं है।

स्वीडन की विदेश मंत्री एन लिंडे ने कहा, ‘‘हम ज्ञापन का पूरा सम्मान करेंगे। बेशक, ज्ञापन में कोई सूची या ऐसा कुछ नहीं है, लेकिन जब बात आतंकवादियों की आती है तो हमें जो करना चाहिए वह बेहतर सहयोग है।”

फ़िनलैंड के विदेश मंत्री पेक्का हाविस्टो ने भी ऐसे ही विचार व्यक्त किए।

हाविस्टो ने कहा, ‘‘मैड्रिड में जिस चीज पर भी सहमति बनी वह दस्तावेज़ में है। इसके पीछे कोई गुप्त दस्तावेज या उसके पीछे कोई समझौता नहीं है।’’

मंगलवार को प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर होने का मतलब स्वीडन और फिनलैंड के नाटो खेमे में और अधिक जगह बनाने से है। करीबी साझेदार के रूप में, वे पहले ही गठबंधन की कुछ बैठकों में भाग ले चुके हैं जिनमें ऐसे मुद्दे शामिल थे जो उन्हें तात्कालिक रूप से प्रभावित करते हैं। दोनों देश आधिकारिक आमंत्रितों के रूप में, राजदूतों की सभी बैठकों में भाग ले सकते हैं, भले ही उनके पास अभी तक कोई मतदान अधिकार नहीं है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Associated Press (AP)

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