सभी मौजूदा अंतरराज्यीय बिजली पारेषण लाइन अब पीम गतिशक्ति पोर्टल पर: बिजली मंत्रालय

नयी दिल्ली, पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के पोर्टल पर सभी मौजूदा अंतरराज्यीय पारेषण लाइन को रखा गया है। देश में अवसंरचना विकास को गति देने के लिये अक्टूबर, 2021 में पीएम गतिशक्ति-राष्ट्रीय मास्टरप्लान की शुरुआत की गयी थी।

बिजली मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को बयान में कहा, ‘‘पीएम गतिशिक्ति के लक्ष्य के अनुरूप पोर्टल पर ‘मौजूदा’ अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली (आईएसटीएस) लाइन का पूरा खाका दिया गया है। ये पारेषण लाइन पूरे देश में फैली हैं।’’

बयान के अनुसार, इसमें 90 प्रतिशत ‘निर्माणाधीन’ आईएसटीएस लाइन भी हैं, जिन्हें पोर्टल के साथ जोड़ दिया गया है। जब संबंधित पारेषण सेवाप्रदाता अपने सर्वेक्षण के बाद मार्ग को अंतिम रूप दे देंगे, तब शेष 10 प्रतिशत आईएसटीएस लाइन को भी पोर्टल से जोड़ दिया जाएगा।’’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अवसंरचना विकास के लिये पीएम गतिशक्ति-राष्ट्रीय मास्टरप्लान की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य विभिन्न मंत्रालयों तथा विभागों एवं बुनियादी ढांचा योजना प्रक्रिया को एकीकृत मंच पर लाना है। इनमें राजमार्ग, रेलवे, विमानन, गैस, बिजली पारेषण, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र आदि शामिल हैं।

इसमें कहा गया है कि पीएम गतिशक्ति पोर्टल से आर्थिक क्षेत्रों को निर्बाध ‘कनेक्टिविटी’ के मद्देनजर बुनियादी ढांचा योजना के लिये सुरक्षित, टिकाऊ और सहभागी नजरिये के माध्यम से देश में अवसंरचना विकास की अड़चनों को दूर करने में मदद मिलेगी।

पीएम गतिशक्ति एनएमपी पोर्टल में ‘एक क्लिक पर पूरी जानकारी’ से योजना बनाने और उसे लागू करने की प्रक्रिया सरल होगी तथा बिजली पारेषण परियोजनाओं के क्रियान्वयन में लगने वाला समय व लागत में कमी आयेगी।

बयान के अनुसार, बिजली पारेषण परियोजनाओं के विकास में, पीएम गतिशक्ति एनएमपी पोर्टल योजना, निविदा, कार्यान्वयन और स्वीकृति स्तरों में अहम भूमिका निभाएगा।

योजना बनाने के स्तर पर पोर्टल इस्तेमाल करने वाले व्यक्तियों को निर्धारित पारेषण लाइन की अस्थायी लंबाई की पहचान करने तथा सब-स्टेशन के स्थान का पता करने में आसानी होगी। सर्वेक्षण एजेंसी संविदा/बोली लगाने के स्तर पर प्रौद्योगिकी और लागत के हिसाब से बेहतर मार्ग का पता लगाएगी।

बयान के अनुसार, कार्यान्वयन की स्थिति में वास्तविक हालात के आधार पर पारेषण लाइन के मार्ग को अंतिम रूप देने तथा सब-स्टेशनों का स्थान तय करने में सुविधा होगी। अंत में स्वीकृति के स्तर पर एक ही स्थान पर परियोजना को सभी प्रकार की मंजूरी मिल जाएगी।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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